
नागपुर। विदर्भ में संतरा, नींबू और अन्य खट्टे फल उत्पादक किसानों के जीवन स्तर में सकारात्मक बदलाव लाने और इस क्षेत्र के फल उत्पादन को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए राज्य सरकार ठोस और रणनीतिक निर्णय लेगी। यह आश्वासन कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे ने दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के साथ सभी नर्सरियों का पंजीकरण और उनकी रेटिंग अनिवार्य की जाएगी। विदर्भ में संतरा और नींबू किसानों की सतत प्रगति के लिए आवश्यक नीतिगत फैसलों पर विचार करने के उद्देश्य से नागपुर में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य महाराष्ट्र फल नर्सरी (विनियमन) अधिनियम, 1969 में नींबू वर्गीय फसलों के अनुरूप संशोधन करना था। बैठक में विधायक आशीष जायसवाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास चंद्र रस्तोगी, कृषि आयुक्त सूरज मंधारे, उद्यानिकी संचालक अंकुश माने, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. शरद गडख सहित कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कृषि विश्वविद्यालय को निर्देश दिए कि वह 20 मॉडल नर्सरी, थिनिंग के लिए एआई आधारित मशीनरी, संतरे के मॉडल फार्म और अन्य आवश्यक शोध कार्यों के लिए विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इन परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर भरपूर सहयोग दिया जाएगा। गडकरी ने विदर्भ में फलों के महत्व और किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए मार्गदर्शन भी किया। बैठक में नर्सरी कानून में व्यापक संशोधन, संतरा, कीनू और नींबू वर्गीय फलों की नर्सरियों में सर्वोत्तम गुणवत्ता अनिवार्य करने, लाइसेंस जारी करते समय सख्त नियम और तकनीकी मानकों को शामिल करने पर सहमति बनी। इसके साथ ही रोपण सामग्री की गुणवत्ता, रूट स्टॉक और मदर स्टॉक के मानक तय करने, प्रत्येक नर्सरी के लिए पौध उत्पादन की न्यूनतम और अधिकतम सीमा निर्धारित करने तथा उचित अनुपात तय करने पर चर्चा हुई। मौजूदा नर्सरियों को सुधार के लिए तीन से पांच वर्ष की अवधि देने और भविष्य में सभी नए लाइसेंस नई नीति के अनुसार ही जारी करने का प्रस्ताव रखा गया। रंगपुर, जाबेरी और अनलिमो रूट स्टॉक के रोपण और आपूर्ति को अनिवार्य करने तथा एनआरसीसी और पीकेवी द्वारा इनके विकास को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी। इसके अलावा, जहां बगीचा नहीं है वहां नर्सरी चलाने की अनुमति न देने, पौधों की गुणवत्ता नियंत्रण और एक समान मूल्य निर्धारण, ओएनएचबी की मान्यता अनिवार्य करने, पौध पैकेट का न्यूनतम आकार 8×12 तय करने और बिक्री योग्य पौधों की आयु को लेकर स्पष्ट नीति बनाने पर विस्तार से चर्चा हुई। नर्सरी मालिकों के लिए एक अलग डिजिटल पोर्टल विकसित करने का भी निर्णय लिया गया, जिस पर नर्सरी से संबंधित फोटो, वीडियो और तकनीकी जानकारी अपलोड करनी होगी। इससे किसानों को गुणवत्ता की पहचान करने और सही पौध सामग्री खरीदने में सुविधा मिलेगी। कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे ने कहा कि बैठक में लिए गए निर्णय विदर्भ के संतरा किसानों के हित में बेहद महत्वपूर्ण हैं। इनसे उत्पादन की गुणवत्ता सुधरेगी, निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी और विदर्भ के फल वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे।




