ठाणे। सतत विवादों से घिरे रहने वाली ठाणे एफडीए की ड्रग इंस्पेक्टर आरती कांबली को असिस्टेंट कमिश्नर पद का अतिरिक्त कार्यभार दिए जाने का मामला तूल पकडता नजर आ रहा है। मुंबई हायकोर्ट के वकील ऍड. डॉ. वेद तिवारी की शिकायत को आधार बनाकर महाराष्ट्र सरकार के मेडिकल एज्युकेशन विभाग ने इस मामले की जांच करने के लिखित निर्देश एफडीए कमिश्नर को दिए हैं। सरकार ने इस मामले में एफडीए कमिश्नर से रिपोर्ट भी मांगी है। पाठकों को ज्ञात हो कि पिछले वर्ष सात नवंबर को एफडीए कोकण विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर ने एक आदेश जारी कर ड्रग इंस्पेक्टर आरती कांबली को असिस्टेंट कमिश्नर पद का अतिरिक्त कार्यभार (चार्ज) दे दिया था। इस आदेश को महाराष्ट्र सरकार के पांच सितंबर २०१८ को जारी किए गए सर्क्यूलर का खुला उल्लंघन बताते हुए ऍड. तिवारी ने मामले की शिकायत एफडीए मंत्री संजय राठौड़ और मेडिकल एज्युकेशन सेक्रेटरी डॉ. अश्विनी जोशी से कर दी। अपनी शिकायत में ऍड. तिवारी ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी किए सर्क्यूलर का हवाला देकर ड्रग इंस्पेक्टर आरती कांबली को असिस्टेंट कमिश्नर पद का अतिरिक्त कार्यभार दिए जाने की प्रक्रिया को गैरकानूनी बताया है। इस सर्क्यूलर के अनुसार कोई भी पद रिक्त होने पर उस पद का अतिरिक्त कार्यभार सबसे सिनीयर, अनुभवी, सक्षम और समकक्ष अधिकारी को दिया जाना चाहिए। अगर किसी वजह से सिनीयर अधिकारी को यह जिम्मेदारी नहीं दी जा सके तो इसके कारणों का विस्तृत उल्लेख करना अनिवार्य है। ठाणे एफडीए में भामरे, म्हानवर, चौधरी, आहेर और सूपे जैसे वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति होने के बावजूद आरती कांबली जैसी जूनियर और कम अनुभव वाली अधिकारी को असिस्टेंट कमिश्नर पद का अतिरिक्त चार्ज दे दिया गया। ऍड तिवारी ने अपनी शिकायत में ठाणे एफडीए के एक पूर्व भ्रष्ट अधिकारी ने इस गैरकानूनी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की बात लिखी है। हालाकि इस मामले में एफडीए आयुक्त अभिमन्यु काले व सह आयुक्त विधि की भूमिका सवालों के घेरे में हैं!