Friday, November 22, 2024
Google search engine
HomeIndiaसंपादकीय:- बीजेपी में भारी दरार!

संपादकीय:- बीजेपी में भारी दरार!

वास्तविकता यह है कि गुजरात लॉबी ने तमाम वरिष्ठ जमीनी नेताओं को दरकिनार किया जाना लोगों को नागवार लग रहा है। यहां तक कि आर एस एस की भी अनदेखी की जाने से उसके अनुसांगिक संगठन विश्वहिंदू परिषद को भी हासिये पर धकेला जा चुका है। इंदिरा गांधी ने जिस तरह बुजुर्ग कांग्रेसियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। वही अब बीजेपी में मोदी के आगमन के उपरांत वरिष्ठों को अपमानित कर के निकाल दिया गया। यहां तक कि बीजेपी का मदर संगठन आरएसएस भी खुद को ठगा अनुभव करने लगा है। राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ और मध्यप्रदेश में पिछले पैंतीस चालीस वर्षों से आर एस एस को मजबूती देने का काम किया है। कर्नाटक हार के बाद चेहरा बदलने की कवायद चल रही। ज्योतिरादित्य सिंधिया को खड़ा किया गया है। इसलिए अपनी सत्ता गंवाने को तैयार नहीं होंगे सीएम चौहान। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया दोनों एक साथ मंदिर में दर्शन पूजन किया। उनकी नजदीकियां कुछ और कहानी कह रही हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ही करिश्मा है कि मेयर चुनाव में यूपी की सभी सीटें भाजपा की झोली में डाल दिया लेकिन श्रेय लेने बीजेपी अध्यक्ष नड्डा आ टपके। योगी की अहमियत कम करने की गुजरात लॉबी का यह तीसरा प्रयास है। पहला योगी समर्थकों को चुनाव में हरावना और मौर्य और पाठक दोनो को योगी के दोनों तरफ बिठाकर अंकुश लगाया गया था। दूसरा प्रदेश के संगठनात्मक चुनाव नहीं कराया गया। गुजरात लॉबी ने प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी पद पर अपने लोगों की नियुक्ति कर दी। जिससे योगी की पकड़ शासन और संगठन दोनों में कम कर दी गई। नितिन गडकरी जमीनी नेता हैं। साफगोई पसंद व्यक्ति हैं। वे कई बार पार्टी लाइन से हटकर बयान देने से नहीं चूकते। निश्चित ही उनका टिकट काटने की सोची और की जा सकती है लेकिन गडकरी के पर कतरना गुजरात लॉबी के बूते का नहीं है। योगी, गडकरी, वसुंधरा राजे ऐसी सख्शियत हैं जो अपने बूते चुनाव जीतते हैं। जहां तक मध्य प्रदेश के सीएम चौहान की बात है उनकी जगह सिंधिया को प्रमोट कर गुजरात लॉबी मध्यप्रदेश गंवा देगी। अपनी अहमियत कम होते देख ये चारो चौकन्ने हो गए हैं।मध्यप्रदेश में कांग्रेस से आए सिंधिया को सीएम प्रमोट करना आत्मघाती सिद्ध होगा। वैसे अंदरूनी तौर पर अनेक केंद्रीय मंत्री यहां तक कि मोदी को किंग बनाने वाले राजनाथ सिंह सहित तमाम नाखुश हैं। पार्टी हाइजैक होने से दुखी हैं। अगर ये सभी एक दूसरे से जुड़ गए तो? शिवराज सिंह चौहान और रमण सिंह पीएम की दौड़ में थे लेकिन राजनाथ सिंह का कृपा प्रसाद न पाने से वंचित रह गए जब कि सियासी तौर पर मोदी के बराबर ही थे कम नहीं। समय समय की बात है कभी नाव गाड़ी में कभी गाड़ी नाव में होती रहती है। पीएम की कुर्सी हमेशा किसी की नहीं रही। लोग आए चमक दिखाए और चले गए।जनता की नब्ज टटोलने वालों का कहना है कि भले ही चंद बाबाओं से कहलवा दिया जाए लेकिन जनता ढोंगी अज्ञानी बाबाओं के झांसे में आने वाली नहीं है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments