Friday, November 22, 2024
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एपीएमसी चुनाव में बीजेपी और शिवसेना को मिला करारा झटका, महाविकास अघाड़ी ने हासिल की बड़ी जीत

मुंबई। महाराष्ट्र में कृषि बाजार समितियों के नतीजे शनिवार देर शाम तक सामने आए। इन चुनाव नतीजों में भले ही बीजेपी नंबर एक की पार्टी बनकर उभरी हो, पर महाविकास अघाड़ी ने सत्तापक्ष बीजेपी और शिवसेना को बड़ा झटका दिया है। बता दें कि महाराष्ट्र के 147 कृषि बाजार समितियों (एपीएमसी) चुनाव नतीजे आए हैं। इन चुनावों में महाविकास अघाड़ी ने बाजी मारते हुए करीबन 80 से ज्यादा जगहों पर जीत हासिल की, जबकि बीजेपी शिवसेना को 48 जगह पर जीत मिली। बीजेपी ने सबसे ज्यादा 40 बाजार समितियों में जीत दर्ज की, दूसरे नंबर पर एनसीपी ने 38 जगहों पर तो कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही और 33 जगह जीत हासिल की।
एकनाथ शिंदे की शिवसेना झटका
वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना को तगड़ा झटका मिला है उनकी पार्टी सीधे 5वें नंबर पर फिसल गई है। शिंदे की शिवसेना को सिर्फ 8 बाजार समितियों में जीत मिली। जबकि उनके नासिक में मंत्री दादा भूसे , धाराशिव में मंत्री तानाजी सावंत, जलगाँव जिले में विधायक चिमनराव पाटिल, ऐसे कई नेताओ को उनके गृह क्षेत्र में करारी हार मिली। उद्धव ठाकरे की शिवसेना चौथे नंबर पर रही उन्हें 11 बाजार समितियों में जीत मिली। साथ ही शेतकरी कामगार पार्टी को 2 और अन्य को 15 जगह जीत हासिल हुई।
इन दिग्गजों को मिली मात
अहमदनगर जिले में बीजेपी के सीनियर मिनिस्टर राधाकृष्ण विखे पाटिल के सपोर्टेड पैनल्स को एनसीपी विधायक नीलेश लंके ने अपने जिले में हराया। वहीं, नासिक में शिवसेना मंत्री दादा भूसे के पैनल्स को उद्धव गुट के अद्वैत हीरे ने हराया। इसके अलावा भुसावल में बीजेपी विधायक संजय सावकारे ने पूर्व मंत्री एनसीपी नेता एकनाथ खडसे के पैनल को हराया। बीड में एनसीपी के धनंजय मुंडे ने बहन पंकजा को झटका दिया। धाराशिव में शिवसेना मंत्री तानाजी सावंत को झटका लगा।
चुनाव के नतीजे से बीजेपी चिंतित
बता दें कि कृषि बाजार समितियों के चुनाव पार्टी के चुनाव चिन्ह पर नही लड़े जाते, पर इसमें इलाके के विधायक मंत्री या पॉलिटिकल पार्टी के नेता अपने-अपने पैनल खड़े करते है। इन चुनाव नतीजों से समझ आता है कि महाविकास अघाड़ी एकसाथ रहती है तो बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना को चुनाव में मुश्किल हो रही है। बता दें कि बीजेपी इस बात पर चिंतिंत है कि महाविकास अघाड़ी एकसाथ में चुनाव उतरी तो आने वाले महानगरपालिका या लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जीत हासिल करना मुश्किल होगा क्योंकि शिंदे गुट के पास मुख्यमंत्री पद होते हुए उनका करिश्मा नहीं दिख रहा है।

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