नागपुर। महाराष्ट्र के नागपुर में सरकारी इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल व कॉलेज परिसर का ये पूरा मामला है, जहां बुर्का पहनकर 20 दिनों से एक डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रही थी। कई मरीजों से तो उसने दोस्ती भी कर ली थी। कुछ समय के बाद सुरक्षा गार्डों को डॉक्टर की गतिविधियों पर शक होने लगा। इसके बाद जब डॉक्टर का हिजाब उठाकर देखा गया तो सबके होश उड़ गए। दरअसल, जो कई दिनों से महिला बनकर बैठा था, वो असल में पुरुष निकला। इसके बाद इस पूरे मामले की जानकारी पुलिस को दी गई। युवती बनकर मरीजों का इलाज कर रहे इस शख्स का नाम है जावेद। पेशे से कंप्यूटर मैकेनिक जावेद समलैंगिक है। उसे पुरुषों से दोस्ती करना काफी पसंद है। ऐसे में वो महिला बनकर बुर्का पहनकर अस्पताल आता था। तकरीबन 20 दिनों से वो मरीजों को देख रहा था। जावेद ज्यादातर पुरुष मरीजों को ही देखता था जावेद अकसर बुर्के में रहता था तो उसे कोई पहचान नहीं पाता था। लेकिन एक दिन अस्पताल के सुरक्षा गार्डों को उसपर शक हुआ। इसके बाद उन्होंने जावेद पर नजर रखना शुरू कर दिया। जब भी वह मरीजों का इलाज करता तो महिला जैसी आवाज निकालता था। एक बार एक संतोशी नाम की महिला कर्मचारी ने उससे नाम पूछा तो उसने अपना नाम आयशा सिद्दीकी बताया। इसके बाद जब संतोषी ने उससे बुर्का हटाने को कहा तो उसने मना कर दिया। उसने कहा कि यहां इतने लोग हैं, तो कैसे बुर्का उतारूं। इसपर जब संतोषी उसे अलग से लेकर गई और बुर्का उतारा तो उसके भी होश उड़ गए। इस पूरे मामले की जानकारी पुलिस को दी गई तो पुलिस ने उसे हिरासत में लिया। इसके बाद पूछताछ में जावेद ने अपने समलैंगिक होने की बात स्वीकारी। उसने बताया कि बुर्के में किसी भी पुरुष को फंसाना ज्यादा आसान था। जावेद ने बताया कि अस्पताल में इलाज करने आता तो मरीजों के नंबर ले लिया करता था। पुलिस ने जब उसका फोन चेक किया तो माय लव नाम से एक नंबर मिला। ये फोन किसी पुरुष ने उठाया। उस पुरुष से जावेद महिला की आवाज में बात करता था। जावेद की बातें सुनकर पुलिस को भी हंसी आ गई।