मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार को एक नया अध्यय जुड गया। जब शरद पवार के भतीजे अजित पवार के साथ कुछ नेता शिंदे सरकार में शामिल हो गए। अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद मिला तो छगन चंद्रकांत भुजबळ, दिलीप दत्तात्रय वळसे- पाटील, हसन मियालाल मुश्रीफ, धनंजय पंडितराव मुंडे, धर्मरावबाबा भगवंतराव आत्राम, आदिती सुनील तटकरे, संजय बाबूराव बनसोडे, अनिल भाईदास पाटील मंत्री बने। एनसीपी के यह दिग्गज शिंदे सरकार के साथ खडे हो गए। वहीं, इस बात से नाराज एनसीपी समर्थकों ने मुंबई में अजित पवार के कदम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। शिंदे सरकार में शामिल हुए पार्टी नेताओं के पोस्टरों पर काली स्याही पोत दी। इतना ही नहीं, अजित पवार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसी बीच डिप्टी सीएम पद मिलते ही अजित पवार ने पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी। जिसमें उन्होंने नागालैंड मॉडल की आड लेते हुए खुद का बचाव किया।
कैसे किया अजित पवार ने बचाव ?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजित पवार ने अपना बचाव करते हुए शरद पवार का नागालैंड मॉडल याद दिलाया। उन्होंने कहा कि इसी साल नागालैंड विधान सभा चुनाव हुआ था। नागालैंड के विकास के लिए एनसीपी के 7 विधायक पार्टी के फैसले पर बीजेपी के साथ चले गए थे। उसी तरह महाराष्ट्र राज्य की भलाई लिए एनसीपी बीजेपी के साथ क्यों नहीं जा सकती है।
क्या हुआ था नागालैंड में?
आपको बता दें कि इसी साल नागालैंड में विधानसभा चुनाव हुए थे। चुनाव के दौरान एनसीपी ने एनडीपीपी-बीजेपी के नेतृत्व वाली नागालैंड सरकार को अपना समर्थन दिया। एनसीपी के 7 विधायक थे और पार्टी के फैसले पर सभी विधायक बीजेपी के साथ चले गए थे।