
मुंबई: (MUMBAI) केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मुंबई सीमा शुल्क विभाग के दो आईआरएस अधिकारियों (Deputy Commissioners) और दो एजेंटों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। इन चारों पर उचित सीमा शुल्क का भुगतान किए बिना माल की निकासी का आरोप है।
सीबीआई ने पहला मामला दिसंबर, 2020 से अगस्त, 2021 तक कार्यरत तत्कालीन उपायुक्त दिनेश फुलदिया के खिलाफ दर्ज किया है। दूसरा मामला अगस्त, 2021 से जुलाई, 2022 तक कार्यरत तत्कालीन उपायुक्त सुभाष चंद्रा के खिलाफ दर्ज किया गया है। इस मामले में एजेंट सुधीर पाडेकर और आशीष कामदार को भी सह आरोपित बनाया गया है।
सीबीआई सूत्रों के अनुसार आरोपित दिनेश फुलदिया वर्तमान में एनालिटिक्स एंड रिस्क मैनेजमेंट के महानिदेशक के रूप में तैनात हैं। उन्होंने अपने नाम पर कई खर्चे व खरीदारी की है, जिसका भुगतान सुधीर पाडेकर के खाते से या उनके भाई स्वप्निल पाडेकर के खाते के माध्यम से किया गया है। कई मौकों पर क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया गया है। दिनेश फुलदिया ने वॉशिंग मशीन, मसाज चेयर, एप्पल हेडफोन, जूते, माइक्रोवेव और फ्लाइट टिकट खरीदे हैं।
इसी तरह सुभाष चंद्रा वर्तमान में मुंबई में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय में तैनात हैं। उन्होंने ‘हवाला’ चैनल का इस्तेमाल करके अपने परिचित व्यक्तियों के खाते में पैसे ट्रांसफर किया और अन्य खरीदारी की। प्रारंभिक जांच के दौरान सीबीआई ने पाया गया है कि ‘निवास स्थानान्तरण’ प्रावधान के तहत वस्तुओं का आयात किया गया, लेकिन सीमा शुल्क का भुगतान न करके दिनेश फुलदिया और सुभाष चंद्रा ने सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है।
जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि निकासी एजेंट विभिन्न व्यक्तियों से पासपोर्ट हासिल करके दो साल से अधिक समय तक विदेश में रहते हैं और घरेलू सामान की खेप की निकासी के लिए जानबूझकर और बेईमानी से उक्त पासपोर्ट का उपयोग करते हैं। अन्य व्यक्तियों के पासपोर्ट का उपयोग करने के पीछे उद्देश्य यह है कि सीमा शुल्क प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति दो साल से अधिक समय तक विदेश में रहता है, तो वह स्थानांतरण के तहत 5 लाख रुपये तक की छूट का दावा करके विदेशों से उपयोग किए गए घरेलू सामान का आयात कर सकता है।
जांच में पता चला कि पासपोर्ट धारक को उसके पासपोर्ट के उपयोग के बदले प्रति खेप 15,000 रुपये का भुगतान किया जाता है। यह भी पता चला कि भारत में निकासी एजेंट खाड़ी देशों में अपने सहयोगियों और भारत में सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ मिलकर घरेलू सामानों की आड़ में अन्य अज्ञात सामानों के साथ इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का आयात करते हैं। इस मामले की गहन छानबीन जारी है।