
जीतेन्द्र पाण्डेय, पत्रकार, लेखक व स्तंभकार
माफिया किसी देश, प्रांत, समाज की परवाह नही करता न तो किसी सरकार के कानून को मानता है। उसका इलाका, उसके इलाके में उसका कानून चलता है। लोगों की हत्या कर दहशत फैलाना उसका शगल होता है। दहशत फैलते ही क्षेत्र के क्रिमिनल्स उसकी गैंग में जुटने लगते हैं और वे भी दहशत फैलाने में लग जाते हैं। दहशत की आड़ में सरकारी और निजी जमीन हड़पना, लोगों को डरा धमकाकर धन वसूली करना। धन नहीं देने वालों की हत्या कराकर दूसरों को संदेश देना,दौलत के साथ संपत्तियां बनाना माफिया राज में ही संभव है। उत्तर प्रदेश के मऊ बलिया गाजीपुर वाराणसी में अपना साम्राज्य खड़ा करने के लिए अंसारी भाइयों ने अपने गुर्गों के द्वारा हत्याएं, जिनमें राजनीतिक भी सम्मिलित हैं।अनेक नगरों में अपनी मिल्कियत बनाई। अपार दौलत कमाई तो प्रयागराज कौशांबी जिलों में अतीक अहमद की तूती बोलने लगी। जबरन जमीन हड़पकर मॉल, रेस्टोरेंट बनवाए और अनेक स्थानों पर भी अपनी संपत्ति खड़ी कर यूपी में दहशत का खौफनाक चेहरा बन गया। इन दोनों माफियाओं को राजनीतिक समर्थन और सहयोग मिला था। इसी कारण दोनो राजनीति में घुसकर विधानसभा के सदस्य बनें। अपने ही नहीं अपने भाइयों बेटों के लिए भी पैठ बना ली।माफियागिरी के लिए राजनीतिक समर्थन और प्रभाव बेहद ज़रूरी होता है। दोनो ने राजनीतिक प्रश्रय का भरपूर उपयोग कर अपने साम्राज्य विस्तार में लगा दिया। उत्तर प्रदेश में सरकार बदली, निजाम बदलने से सीएम की कुर्सी पर योगी आदित्यनाथ विराजमान हुए। गुंडागर्दी, माफिया गिरी के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति बनाकर पुलिस प्रशासन को चाक चौबंद होकर माफियाओं पर प्रहार शुरू कर दिए। सर्वप्रथम अंसारी बंधुओं पर शिकंजा कसना आरंभ हुआ। माफिया अंसारी को जेल भेजा गया। फिर उसके भाई बीवी की बनाई जागीरों की पहचान और ध्वस्तीकरण शुरू हुआ। साथ ही अतीक पर भी हमले की रूप रेखा तय हुई। अतीक जेल के सीखचों के पीछे ठेल दिया गया। इस गिरफ्तारी ने जता दिया कि यदि शासन में इच्छाशक्ति हो तो माफियाओं का साम्राज्य खत्म किया जा सकता है। जेल जाने पर अतीक को डर लगने लगा।यह अतीक का पहला डर था। उसे अपने एनकाउंटर का भय सतना तीसरी बार डर का एहसास कराया।उसने कोर्ट में अपील कर गुजरात की जेल में ट्रांसफर करवा लिया। अभी तो डर का पहला एपिसोड चल रहा था। अतीक पचासों मामले में आरोपी है।माफिया अतीक को एक बार फिर तब डर लगा जब प्रयागराज कोर्ट में पेश होने के लिए यूपी पुलिस अहमदाबाद जेल पहुंची थी। उसे अहमदाबाद से प्रयाग राज लाने के लिए। उसे एन काउंटर या जीप पलटने का डर समा गया । उसने अहमदाबादसे प्रयागराज लाने के लिए।।उसे जेल में तनहाई से डर लगता है इसलिए उसने प्रयागराज कोर्ट में लोगों के बीच रहने के लिए जज को दरख्वास्त भी दी। उसे डर तब लगा जब अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम को झांसी के पास एनकाउंटर में मार गिराए गया। ये दोनों ही मिलकर उमेश पाल की हत्या में शामिल थे। जबकि दो वांछितों के एनकाउंटर में ढेर किए जाने के बावजूद भी असद और शूटर गुलाम पुलिस को छकाते रहे। इन दोनों के सुराग में पुलिस टुकड़ियां लगी थीं।इन दोनों के न मिलने पर पुलिस की बहुत किरकिरी हो रही थी। बताया जाता है कि इन दोनो को दिल्ली के एक नेता ने शरण दी थी। इनके संबंध मुंबई में भी बताए जाते हैं। इन दोनों ने उमेश पाल सहित उसके गनर की भी हत्या कर दी थी। पुलिस पर बेहद दबाव था लेकिन हत्या के 47 दिनों बाद पुलिस को सफलता मिली। उमेश पाल के परिजनों को राहत तब मिलेगी जब अतीक फांसी के फंदे पर झूलेगा। गनर का परिवार असद और गुलाम के ढेर होने पर संतुष्ट हैं। अतीक सहित उसके भाई खालिद असीम उर्फ अशरफ को अदालत में पेश किए जाने के बाद वैन से उतारा गया तो वकीलों की भीड़ ने दोनो को गालियां देते हुए मारा पीटा। अपने भाई को हथकड़ियों में देख कर भी अतीक को डर लगा।अतीक को बेटे के एनकाउंटर में ढेर होने के बाद अपने दो नाबालिग बेटों की फिक्र में डर समाया हुआ था। अतीक का बहनोई डॉक्टर अखालख शूटर को पनाह देने के आरोप में जेल में है। माफिया अतीक की बहन आयशा नूरी, दो भांजियों को भी मुकदमे में नामजद किया गया है। अशरफ की बीवी जैनब का नाम उमेश पाल हत्याकांड में जोड़ा गया है। अतीक के वकील और गुर्गे दिनेश पासी को उम्र कैद दी है। अब जरा अतीक एंड गुर्गों की संपत्ति की बानगी लेते हैं। अतीक के गुर्गे मो असाद की 12 करोड़ जमीन, अतीक के ढहाए गए कार्यालय की कीमत है 75 लाख रुपए, 10 असलहे पुलिस ने पकड़े, चकिया में अतीक के पुश्तैनी मकान की कीमत 40 करोड़, अदावा झूंसी में 12करोड़ कीमत की जमीन प्रशासन ने कब्जे में ली, 100 करोड़ मूल्य की जमीन लूकरगंज में मुक्त कराई गई। सिविल लाइन के एमजी रोड और नवाब यूसुफ रोड पर 28 से 35 करोड़ की जमीन जब्त की गई। साढू इमरान की 18 करोड़ कीमत का होटल और दफ्तर गिराया गया। अशरफ के साले जैद का 50 करोड़ी कीमत वाला मकान ढहाया गया। शिवापुरी में ढाई करोड़ मूल्य का मकान धहाया गया। माफिया गिरोह को कारतूस पहुंचाने वाले सफदर का 3 करोड़ी मकान ढहाया गया। शूटर गुलाम का मकान जिसका मूल्य 2 करोड़ है, ढहा दिया गया। माशूक प्रधान का मकान जिसकी कीमत 20करोड़ थी को ढ़हाया गया। कुल मिलाकर अतीक और गुर्गों के 1100 करोड़ मूल्य की संपत्ति का नुकसान हुआ। इसके पूर्व अंसारी परिवार और गुर्गों के हजार करोड़ के मकान, दुकान होटल आवास ढहाए गए थे। योगी आदित्यनाथ के पूर्व माफियाओं को प्रश्रय देकर भस्मासुर बना दिया गया था। इन दोनों माफियाओं का राज चलाता था उन्ही का कानून चलता था लेकिन योगी पहले और अंतिम सीएम हैं जिन्होंने माफियाओं को मटियामेट करने का जोखिम लिया। योगी सरकार के छः वर्षों में ही 183 बदमाश पुलिस एनकाउंटर में मारे गए। 66 माफियाओं के विरुद्ध अभियान चलाया गया। कुल 10933 मुठभेड़ हुई। 5046 बदमाश घायल और पकड़े गए। मुठाभेड़ों में कुल 23348 अपराधी पकड़े गए। 13 पुलिसकर्मियों ने शहादत दी। 1445 पुलिस कर्मी घायल हुए। आज भी वही पुलिसकर्मी हैं प्रदेश में जो कल तक माफियाओं को सलाम ठोकते थे, बदमाशों को नमस्कार करते थे। उसी पुलिस ने अब छः वर्षों में अपने कर्तव्य पालन किए। इसका श्रेय योगी आदित्यनाथ को जाता है। बता दें कि सपा, बसपा शासन में योगी सांसद होते हुए भी सरकारी नीतियों के शिकार हुए थे बड़े मायूस थे संसद में गुहार भी लगाई थी कि उनकी रक्षा का दायित्व कौन निभाएगा? आज वही योगी आदित्यनाथ हैं जिन्होंने प्रदेश से माफिया राज मिटाने का संकल्प लेकर पूरा करने में लगे हैं। एक ऐसा जुझारू सीएम जो माफिया अतीक के होटल रेस्टोरेंट को ढहाकर वहीं बैठकर पूजन करता है जहां जेनिडोज किए जाने के बाद शहरी गरीबों के लिए आवास निर्माण किया जाने लगा है। योगी ने यूपी को माफिया राज से मुक्ति दिलाकर बीमारू राज्य उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की ओर अग्रसर हैं। तमाम उद्योगपतियों से मिलकर यूपी में उद्योगों के जाल बिछाकर उत्तर प्रदेशीय लोगों को रोजगार देने की लंबी नीति पर कार्य कर रहे हैं ताकि कोई यूपी से पलायन करने को मजबूर न हो। अभी तो माफिया अतीक अहमद की संपत्तियों के ब्यौरे खंगाले जा रहे हैं। अकेले अतीक की संपत्तियां डेढ़ सौ करोड़ की आंकी गई हैं। इसके अलावा बेनामी संपत्तियां भी बेशुमार होंगी जिनकी पहचान करनी होगी। सूत्र बताते हैं कि अतीक के पास लगभग सौ बेनामी संपत्तियां हैं। उसके घर से मिली डीड से जाहिर होता है कि वह किसानों को भी मौत का डर दिखाकर उनकी जमीनों पर भी कब्जा करता रहा है। बताया तो यह भी जा रहा है कि उमेश पाल और अतीक में वर्चस्व की जंग छिड़ी थी जिसमे हत्या की गई। पाल पर भी किसानों की जमीन हड़पने के आरोप हैं। अतीक की बेनामी संपत्तियां सपा शासन काल की बताई जाती हैं। लखनऊ के पॉश एरिया में 5900 वर्ग मीटर भूखंड को सिर्फ 29 लाख में हासिल किया गया जबकि सर्किल रेट से मूल्य 47 लाख है। इसके अलावा छापामारी में 84.68 लाख रुपए ही मिलना अतीक की तौहीन होगी। इसके अलावा सवा लाख के सोने के बिस्कुट और 2.85 करोड़ रुपए के सोने के आभूषण भी मिले। अब अतीक का सितारा डूब रहा है तो रूतबा भी खत्म होना स्वाभाविक है। जिस थाने में उसका कानून चलता था उसी थाने में बोरे पर बैठ कर रात काटना पड़ रहा। यह एक सबक है माफियाओं के लिए। भैयाजी योगी राज में माफियागिरी मत करिहो।