
मुंबई। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांतदादा पाटिल ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि महाराष्ट्र के सभी विश्वविद्यालय ‘विकसित महाराष्ट्र विजन 2047’ के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ठोस और समयबद्ध कदम उठाएँ। सोमवार को मंत्री पाटिल ने कहा कि विश्वविद्यालयों की संकाय भर्ती, शैक्षणिक गुणवत्ता, प्रशासनिक कार्य और समग्र दक्षता की निगरानी के लिए बनाए जा रहे एकीकृत डिजिटल डैशबोर्ड को अगले 15 दिनों में अनिवार्य रूप से पूरा किया जाए। मुंबई विश्वविद्यालय में आयोजित “विकसित महाराष्ट्र विजन 2047 और उच्च शिक्षा शैक्षिक परिवर्तन: विश्वविद्यालयों की भूमिका एवं योगदान” विषयक सम्मेलन में मंत्री पाटिल बोल रहे थे। इस अवसर पर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव बी.वेणुगोपाल रेड्डी, मुख्यमंत्री कार्यालय की प्रधान सचिव अश्विनी भिडे, सचिव डॉ. श्रीकर परदेशी, तकनीकी शिक्षा निदेशक डॉ. विनोद मोहितकर, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. शैलेंद्र देवलंकर, कला निदेशालय के निदेशक डॉ. किशोर इंगले, उप सचिव प्रताप लुबल, संयुक्त सचिव संतोष खोरगड़े सहित राज्य भर के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति और प्रतिकुलपति उपस्थित थे। मंत्री पाटिल ने कहा कि प्रत्येक विश्वविद्यालय के लिए दो सदस्यीय विशेष टीम नियुक्त की जाएगी, जो डैशबोर्ड की प्रगति की जाँच करेगी, विश्वविद्यालय जाकर डेटा सत्यापित करेगी और पूरे सिस्टम को त्रुटिरहित बनाएगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने सभी कार्यों की नियमित समीक्षा करनी चाहिए और हर तीन महीने में एकीकृत समीक्षा बैठक अनिवार्य रूप से आयोजित की जाएगी। इसके साथ ही, वंदे मातरम् गीता के 150 वर्ष पूरे होने पर सभी विश्वविद्यालयों में विशेष सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश भी दिए गए। अतिरिक्त मुख्य सचिव बी. वेणुगोपाल रेड्डी ने कहा कि यह डैशबोर्ड पूरी तरह सटीक, पारदर्शी और त्रुटिरहित होना चाहिए। सभी सूचनाएँ एक ही स्थान पर उपलब्ध हों और प्रत्येक विश्वविद्यालय अपने डैशबोर्ड की विस्तृत जाँच कर उसे समयबद्ध रूप से पूरा करे। उन्होंने कहा कि 30 नवंबर तक सभी लंबित मुद्दों का निपटारा किया जाना अनिवार्य है। राज्य सरकार की ओर से उच्च शिक्षा में डिजिटल पारदर्शिता, संकाय भर्ती प्रक्रिया में गति, और शैक्षणिक गुणवत्ता को नई दिशा देने के लिए अनेक पहलें चल रही हैं। यह नया डिजिटल डैशबोर्ड उसी परिवर्तन प्रक्रिया का मुख्य स्तंभ होगा और 30 नवंबर तक की समयसीमा विश्वविद्यालयों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।




