मुंबई। “सनातन धर्म केवल एक धर्म नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का एक तरीका है। इसकी सहिष्णुता, समावेशिता और सभी धर्मों का सम्मान इसकी सबसे बड़ी ताकत है। मानवता की रक्षा के लिए सनातन धर्म की रक्षा आवश्यक है।” यह बात महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने गुरुवार को गोरेगांव के महारानी अहिल्याबाई होल्कर मैदान में आयोजित हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले में कही। चार दिवसीय इस मेले का आयोजन हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को संरक्षित और प्रचारित करना है। राज्यपाल ने कहा कि भारत हमेशा से सहिष्णु और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र रहा है। देश की संस्कृति करुणा और मानवता के सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “हमने न केवल अपनी जनता को कोविड वैक्सीन दी, बल्कि गरीब और जरूरतमंद देशों को भी मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराई। यह मानवता की सेवा में भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। राज्यपाल ने कहा कि एक मजबूत भारत ही मानवता की सच्ची सेवा कर सकता है। उन्होंने भारत के सनातन मूल्यों को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि सनातन धर्म का संदेश सभी को एकजुट करने और हर जीव के कल्याण के लिए है। राज्यपाल राधाकृष्णन ने सम्मेलन के दौरान आयोजित प्रदर्शनी का दौरा किया और प्रदर्शित की गई भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक विचारधारा की प्रशंसा की। आयोजकों ने बताया कि मेले में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को प्रदर्शित किया जा रहा है।
अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति
इस मौके पर हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन के राष्ट्रीय समन्वयक गुणवंत सिंह कोठारी, शारदा रामप्रकाश बुबना, सीए केसी जैन और गिरीश भाई शाह सहित कई अन्य प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं। चार दिवसीय यह मेला 9 जनवरी से 12 जनवरी तक चलेगा, जिसमें विभिन्न आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। मेले का उद्देश्य नई पीढ़ी को सनातन धर्म और उसकी शिक्षाओं से जोड़ना और भारत के समृद्ध सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देना है। राज्यपाल ने अपने संबोधन में युवाओं से आग्रह किया कि वे भारत की प्राचीन परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को आत्मसात करें और इसे वैश्विक मंच पर ले जाएं। उन्होंने कहा कि “हमें अपनी जड़ों को पहचानते हुए आधुनिकता की ओर बढ़ना चाहिए। यही सनातन धर्म का सार है। कार्यक्रम के अंत में, राज्यपाल ने आयोजकों को इस अनूठी पहल के लिए बधाई दी और इसके सफल आयोजन की कामना की।