
नई दिल्ली। शरद पवार गुट के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद माजिद मेमन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी। मोहन भागवत ने कहा था कि कुछ लोग हिंदुओं के नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं और राम मंदिर के बाद हिंदू नेताओं के रूप में उभरने की कोशिश कर रहे हैं।
माजिद मेमन का बयान
माजिद मेमन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, हम उनके बयान का स्वागत करते हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि अक्सर इन बयानों पर अमल नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि यह बयान महत्वपूर्ण है, क्योंकि भागवत ने उन लोगों का नाम नहीं लिया जो धार्मिक विवादों को उठाकर अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। माजिद मेमन ने आगे कहा कि भागवत का यह रुख सही है, लेकिन यह भी जरूरी है कि बयानबाजी से आगे बढ़कर इस पर ठोस कदम उठाए जाएं।
धार्मिक विवादों से बचने की आवश्यकता
मेमन ने कहा कि धार्मिक विवादों को उठाने से समाज में नफरत फैलती है और यह अंत में समाज के लिए नुकसानदेह होता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें संविधान के तहत सभी धर्मों के समान अधिकार का सम्मान करना चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि इस दिशा में कितना अमल हो रहा है।
देश को एकजुट रहने की आवश्यकता
देश को एकजुट रहने की बात पर माजिद मेमन ने कहा कि यह एक अच्छा विचार है, लेकिन इसके लिए सरकार को अपने नेताओं को सही दिशा में समझाना होगा। यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों की नीतियों में असमानता है, तो यह समाज में गलत संदेश जाएगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि जब मुसलमानों के खिलाफ हमले होते हैं या उनके घरों पर बुलडोजर चलते हैं, तो इसे बढ़ावा देने के बजाय इसका विरोध किया जाना चाहिए।
दिल्ली में संसद की घटना पर माजिद मेमन की प्रतिक्रिया
इसके अलावा, माजिद मेमन ने दिल्ली में संसद में हुई धक्का-मुक्की की घटना पर भी टिप्पणी की। उन्होंने इसे बेहद शर्मनाक बताया और कहा कि सांसदों को अनुशासन में रहकर काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी राजनीतिक दलों को ऐसी घटनाओं का विरोध करना चाहिए और संसद में हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। स्पीकर और राज्यसभा के चेयरमैन को इस पर सख्त कदम उठाने चाहिए।




