नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट से आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को राहत मिल गई है। राघव चड्ढा को सरकारी बंगला खाली नहीं करना होगा क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के सरकारी बंगले को खाली करने के निर्णय पर रोक लगा दी है। दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत मिलने के बाद राघव चड्ढा का रिएक्शन सामने आया है। राघव चड्ढा का कहना है कि यह सत्य और न्याय की जीत हुई है।
सत्य और न्याय की जीत हुई- राघव चड्डा
सरकारी बंगला खाली करने के निचली अदालत के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा रद्द किए जाने पर राघव चड्ढा ने कहा, ‘यह मकान या दुकान की नहीं, संविधान को बचाने की लड़ाई है और अंत में सत्य और न्याय की जीत हुई है। मैं बस यह कहना चाहता हूँ कि वे मुझे मेरे आधिकारिक आवास से हटा सकते हैं, वे मुझे संसद से निकाल सकते हैं, लेकिन वे मुझे लाखों भारतीयों के दिलों से नहीं हटा सकते, जहां मैं वास करता हूं। आप सांसद ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला बीजेपी की तानाशाही और अन्याय पर करारा तमाचा है।
सरकारी बंगले में रहने की मंजूरी मिली- दिल्ली उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा को अपने सरकारी बंगले में रहने की मंजूरी दे दी। इसी के साथ अदालत ने उन्हें दिल्ली के अहम हिस्से में आवंटित बंगले को खाली करने के निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने ‘आप’ नेता की अपील पर आदेश पारित करते हुए कहा कि 18 अप्रैल को निचली अदालत ने राज्यसभा सचिवालय को निर्देश दिया था कि वह चड्ढा से बंगला खाली नहीं कराए और यह रुख बहाल किया जाता है एवं यह तब तक प्रभावी रहेगा जब तक निचली अदालत अंतरिम राहत के उनके आवेदन पर फैसला नहीं करती। विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है।
निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी
दरअसल, चड्ढ़ा ने निचली अदालत के पांच अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी थी जिसने अप्रैल के अपने अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया था। अदालत ने अपने नवीनतम आदेश में कहा था कि चड्ढ़ा यह दावा नहीं कर सकते हैं कि राज्यसभा सदस्य होने के पूरे कार्यक्रम में सरकारी बंगला में रहना उनका पूर्ण अधिकार है, वह भी तब जबकि आवंटन रद्द कर दिया गया है। चड्ढ़ा के वकील ने उच्च न्यायालय में तर्क दिया कि सांसद को नोटिस दिया गया है और खाली कराने की प्रक्रिया चल रही है। राज्य सभा सचिवालय ने निचली अदालत के खिलाफ दायर चड्ढा की याचिका का विरोध किया।