Tuesday, October 14, 2025
Google search engine
HomeMaharashtraसुख, शांति, आरोग्य और समृद्धि प्रदान करती है महागौरी की आराधना

सुख, शांति, आरोग्य और समृद्धि प्रदान करती है महागौरी की आराधना

विजय कुमार शर्मा
नवरात्रि के नौ पावन दिनों में महा दुर्गाष्टमी का विशेष महत्व है। इस दिन मां महागौरी की पूजा अत्यंत कल्याणकारी मानी जाती है। शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी पर भक्त यदि सच्चे हृदय और श्रद्धा भाव के साथ पूजा करते हैं, तो भगवती जीवन में सुख, शांति, आरोग्य और समृद्धि प्रदान करती हैं। शारदीय महा दुर्गाष्टमी के दिन मां महागौरी की आराधना की जाती है, जो आदिशक्ति का स्वरूप हैं। वे पवित्रता, शांति और सादगी का प्रतीक मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन मां दुर्गा ने चंड, मुंड और रक्तबीज जैसे असुरों का संहार किया था। वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष मंगलवार, 30 सितंबर को अष्टमी तिथि है। इस शुभ अवसर पर मां महागौरी के निमित्त व्रत रखा जाएगा और संधि पूजा का विधान भी होगा। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करने पर भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। 108 नामों का जाप करने से माता रानी हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि लाती हैं। यह व्रत केवल पूजा-पाठ का अवसर नहीं है, बल्कि आस्था और मनोकामनाओं की पूर्ति का प्रतीक भी है। महाअष्टमी के दिन नवदुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की, जिससे उनका शरीर कालापन ग्रहण कर गया। भगवान शिव के दर्शन देने पर उनका स्वरूप उज्जवल और गौरवर्णी हो गया। मां महागौरी सफेद वस्त्र धारण कर बैल पर सवार होती हैं और उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें त्रिशूल सहित अन्य आयुध हैं। इस दिन स्नान, ध्यान और षोडशोपचार विधि से पूजा करने पर मां प्रसन्न होती हैं और साधकों को सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देती हैं। शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन को विशेष महत्व प्राप्त है। सामान्यतः लोग सभी नौ दिनों में कन्याओं का पूजन कर सकते हैं, लेकिन अधिकांश श्रद्धालु दुर्गा अष्टमी और महानवमी पर ही इसे करते हैं। इस बार महा दुर्गाष्टमी और महानवमी क्रमशः 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को मनाई जाएगी। महाअष्टमी का दिन करियर, व्यापार और आर्थिक उन्नति के लिए भी शुभ माना जाता है। इस दिन मां महागौरी को कपूर और लौंग अर्पित कर उसे जलाकर घर में घुमाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और करियर व व्यापार में वृद्धि होती है। पान के पत्ते पर केसर, इत्र और घी मिलाकर स्वास्तिक चिन्ह बनाकर कलावा लपेटकर सुपारी अर्पित करने से कार्यक्षेत्र में सफलता और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पूजा के बाद चावल का दीपक तिजोरी में रखने से धन की वृद्धि होती है। तुलसी के पौधे को दूध का अर्घ्य देने से घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है। शारदीय महा दुर्गाष्टमी व्रत भक्तों के लिए केवल धार्मिक अवसर नहीं है, बल्कि यह आस्था, साधना और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक भी है। इस दिन की पूजा और व्रत से भक्तों का मन पवित्र होता है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि, शांति एवं मानसिक संतुलन आता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments