Friday, November 21, 2025
Google search engine
HomeLifestyleदृष्टिकोण: दांपत्य जीवन को शर्मसार करती घटनाएं 

दृष्टिकोण: दांपत्य जीवन को शर्मसार करती घटनाएं 

सुधाकर आशावादी
सामाजिक संबंधों की खूबसूरती जिन नैतिक और मर्यादित रिश्तों में दिखाई देती थी, वही रिश्ते आजकल दम तोड़ने लगे हैं। माता पिता के रिश्तों के उपरांत विवाह जैसा पवित्र बंधन जो आपसी विश्वास, समर्पण एवं त्याग का पर्याय हुआ करता था, वही आज ऐसे दोराहे पर खड़ा है, जहाँ पति अथवा पत्नी एक दूसरे पर विश्वास करने से कतरा रहे हैं। रिश्तों में अविश्वास एवं संदेह किन कारणों से उत्पन्न हो रहा है, यह शोध का विषय है। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो समाज में विवाह जैसी संस्था का अस्तित्व बचाना ही समाजशास्त्रियों के लिए बड़ी चुनौती सिद्ध हो सकता है। वस्तुस्थिति यह है कि संचार क्रांति युग में जहां नारी चेतना, पुरुष प्रधान समाज से मुक्ति सहित नारी सशक्तिकरण का विमर्श समाज में बराबरी का दर्जा पाने के लिए मुखर है। नारी ऐसे मोड़ पर है, जो आधी अधूरी परम्पराओं को अपने मतानुसार निभाने के लिए किसी भी स्तर पर जा सकती है तथा पुरुष अस्तित्व को नकार कर मनमानी करने पर आमादा है। ऐसे में बहुधा अपनी स्वच्छंदता के लिए वह आपराधिक षड्यंत्रों में खलनायिका की भूमिका का निर्वाह करने में भी संकोच का अनुभव नहीं कर रही है। यदि ऐसा न होता, तो कोई भी पत्नी पति, पत्नी और वो के अनैतिक विवाहेत्तर संबंधों के लिए अपने पति की हत्या में भागीदार न होती। विगत कुछ वर्षों से ऐसे समाचार प्रकाश में आ रहे हैं, कि विवाहेत्तर संबंधों को निभाने के लिए पत्नी ने अपने प्रेमी की सहायता से अपने पति को मौत के घाट उतारने में संकोच नहीं किया है। ऐसी घटनाएं अब सिर्फ महानगरों तक ही सीमित नहीं रह गई हैं। अवैध और अनैतिक संबंधों का खेल अब महानगरों से लेकर गाँव स्तर तक अपने पाँव पसार चुका है। मेरठ में मुस्कान और साहिल के अनैतिक संबंधों के खेल से प्रकाश में आई यह कलंक कथा देश के अनेक भागों में दोहराई जा चुकी है। देश का कोई कोना ऐसा नहीं रह गया है, जहाँ संचार क्रांति के माध्यम से अनैतिक संबंधों की घटनाएं घर घर तक न पहुंची हो। वासना में अंधे स्त्री या पुरुष ऐसी घटनाओं को देखकर कब अपने जीवन साथी को मौत के घाट उतारने का षड्यंत्र रचने लगे और कब कोई पति अपनी पत्नी से विश्वासघात करके उसे मौत के घाट उतार दे या कोई पत्नी कब अपने पति के लिए मृत्यु का कारण बन जाए, कहा नहीं जा सकता। ऐसी घटनाओं के पीछे गंभीर कारण क्या हैं, इन्हें भी समझना आवश्यक है। कहीं ऐसा तो नहीं, कि समाज में रिश्तों की मर्यादा का क्षरण होने के कारण व्यभिचार बढ़ रहा हो। भौतिक सुख सुविधाओं के लालच में अनैतिक संबंधों को बढ़ावा मिल रहा हो। कारण चाहे जो भी हों, किन्तु इन सबके मध्य वैवाहिक संबंधों में रिक्तता एवं अविश्वास गंभीर चिंता का विषय है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments