
डॉ.सुधाकर आशावादी
आदिकाल से नकारात्मक शक्तियाँ विकसित राष्ट्रों को पीछे धकेलने हेतु षड्यंत्र रचती रही हैं तथा उन राष्ट्रों को कमजोर करने का सपना देखने वाले तत्वों को अपने षड्यंत्र में शामिल करती रही हैं । कुछ ऐसी ही स्थिति भारत में दृष्टिगोचर हो रही है। स्वस्थ लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ यह भी नहीं है, कि संवैधानिक संस्थाओं पर बिना किसी प्रामाणिक आधार के अंगुली उठाई जाए तथा अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए देश को अराजकता की ओर धकेलने का षड्यंत्र किया जाए। विडंबना है कि राष्ट्रनिष्ठा एवं राष्ट्र समर्पण जैसे मूल्यों से विहीन कुछ राजनीतिक दल व उनसे जुड़े कुछ लोग अपने पैरों तले से खिसकी जमीन को बचाने के लिए आत्मावलोकन करने की अपेक्षा दूसरों पर आरोप लगाने से बाज नहीं आते हैं। कौन नहीं जानता कि देश का प्रत्येक नागरिक देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपेक्षित सुधार का पक्षधर है तथा चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा किये जाने वाले अव्यवहारिक वादों का विरोधी है। निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से वह लोकतांत्रिक सरकार के गठन का पक्षधर है, किन्तु दोहरी मानसिकता वाले राजनीतिक दल संवैधानिक संस्थाओं द्वारा चुनाव सुधार की प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करने के लिए किसी भी हद तक निकृष्ट आचरण कर सकते हैं। यह आम नागरिकों की समझ से बाहर है। आजकल वोटों की चोरी के नाम पर सत्ता पक्ष के साथ चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किसके इशारे पर तथा किस राष्ट्रविरोधी शक्ति के समर्थन से किया जा रहा है, यह जांच का विषय हो सकता है, किन्तु जिस प्रकार से बिना प्रामाणिक तथ्यों के जनमानस में भ्रम उत्पन्न किया जा रहा है, उसने वर्ष 2014 से पूर्व के शासनकाल में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं, कि किस प्रकार चुनाव आयोग के आयुक्तों को सत्ता के प्रभाव से उनकी सेवानिवृत्ति के उपरांत उपकृत किया गया तथा सत्ता के हटने के उपरांत वही लोग अपने मनमुताबिक चुनाव परिणाम न आने से बौखलाए हुए हैं। सत्ता से बाहर बैठना उन्हें इतना अखर रहा है, कि वे सत्ता प्राप्त करने के लिए चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था को भी बदनाम करने से नहीं हिचकिचा रहे हैं। जांच का विषय यह भी है कि मतदाता सूची से मृतकों अथवा एक से अधिक स्थानों पर मतदाता पाए जाने वाले नागरिकों का नाम सूची से किस आधार पर हटाया गया है। क्या चुनाव आयोग ने मतदाता पुनरीक्षण में मतदाताओं का परीक्षण करते हुए यह जानकारी प्राप्त की, कि जिन मतदाताओं का नाम सूची से हटाया जा रहा है, वे मतदाता विपक्षी गठबंधन के प्रामाणिक मतदाता हैं? यदि नहीं तो विपक्षी गठबंधन के नेता चोर की दाढ़ी में तिनके जैसी हरकतें क्यों कर रहे हैं? क्या जिन वोटों को काटा गया है, वे सभी वोट विपक्षी गठबंधन ने मतदाता सूची में जुड़वाए थे? प्रश्न अनेक हैं, किन्तु वोट चोरी के नाम पर अराजकता फैला कर देश को गुमराह करने का प्रयास किसी भी स्थिति में स्वीकार करने योग्य नहीं है। सो इस विषय पर देश को गुमराह करने वाले तत्वों पर कठोर संवैधानिक कार्यवाही की जानी परम आवश्यक है।