
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 91 के तहत एक सख्त कार्रवाई का निर्णय लिया है। राज्य की सभी जिला परिषदों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने अधीन कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के दिव्यांगता प्रमाण पत्र (यूडीआईडी कार्ड) का सत्यापन करें।
दिव्यांग कल्याण विभाग के सचिव तुकाराम मुंढे ने बताया कि विभाग को विकलांगता प्रमाण पत्रों की वैधता पर कई शिकायतें मिली थीं। इन शिकायतों के आधार पर यह सत्यापन प्रक्रिया शुरू की गई है।
केवल पात्र व्यक्तियों को ही मिलेगा लाभ
शिक्षा, स्वास्थ्य और निर्माण सहित जिला परिषदों के सभी विभागों में प्रमाण पत्रों की जाँच की जाएगी। सत्यापन के बाद केवल बेंचमार्क दिव्यांगता (40 प्रतिशत या उससे अधिक) वाले व्यक्तियों को ही लाभ दिया जाएगा। यदि प्रमाण पत्र फर्जी या अवैध पाए जाते हैं, या दिव्यांगता 40 प्रतिशत से कम है, तो संबंधित व्यक्तियों को लाभ देने पर रोक लगा दी जाएगी।
फर्जी प्रमाण पत्र पर कानूनी कार्रवाई
ऐसे मामलों में पहले से मिले लाभ वापस लिए जाएंगे और संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। अधिनियम की धारा 91 के तहत, यदि कोई अपात्र व्यक्ति लाभ प्राप्त करता है या उसका प्रयास करता है, तो उसे दो वर्ष तक का कारावास, एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों दंड दिए जा सकते हैं।
सचिव तुकाराम मुंढे ने स्पष्ट किया कि सत्यापन के बाद अपात्र पाए जाने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी और सरकार इस प्रक्रिया को गंभीरता से लागू करेगी।