उज्जैन:(Ujjain) शहर के मटका बेचनेवाले व्यवसायी भी इस वर्ष मौसम की बेरूखी के चलते मायूस है। गर्मी के मौसम में बारिश होने तथा ठण्डी हवाओं के चलते मटके का व्यवसाय ठप सा रहा। इन्होंने गुजरात, उत्तर प्रदेश से भी माल मंगवा लिया था। जो अब घर में रखा हुआ है। व्यवसायियों को लाखो रूपए का नुकसान हुआ है।
एक समय था जब शहर में ही मिट्टी के मटके बनाए जाते थे। ये स्याले एवं उनाले के कहलाते थे। अर्थात ठण्ड और गर्मी के दौराने बने मटके। यह मान्यता है कि ठण्ड में बने मटकों में पानी बर्फ की तरह ठण्डा हो जाता है। बीते कुछ वर्षो से शहर में कानपुर, गांधी नगर, थान, खातें गांव, तलवाड़ा आदि से भी मटके मंगवाए जाते हैं। गुजरात की लाल मिट्टी के मटके और उस पर की गई पेंटिंग के चलते ये मटके अधिक दाम पर और अधिक संख्या में खरीद लिए जाते हैं, लेकिन इस बार मौसम की मार ने व्यवसायियों को मायूस कर दिया है।
दुर्गा प्लाजा के सामने मटके बेचनेवाले सिद्धनाथ प्रजापति ने चर्चा में बताया कि शहर में करीब 60 से 70 व्यवसायी हैं,जो इस धंधे से वर्षो से जुड़े हुए हैं। सभी ने इस बार भी पूर्व के अनुभाव के आधार पर लाखो रूपए का माल उत्तर प्रदेश, गुजरात एवं प्रदेश के अन्य शहरों से खरीदा था।
मौसम में लगातार आनेवाले बदलाव के कारण इस बार माल का उठाव 50 प्रतिशत भी नहीं हुआ। यही कारण रहा कि सभी को डेढ़ से दो लाख रूपए के हिसाब से लाखो रूपए का नुकसान हुआ है। अब बारिश के दिन शुरू होने वाले हैं। मटकों की बिक्री न के बराबर हो गई है। ऐसे में माल घर पर स्टॉक करके रखना होगा। इसे सालभर संभालना भी एक कठिन काम रहेगा।