लेखक- जितेंद्र पांडेय
आलोचना का अधिकार, उसी को है, जो निर्विवाद हो। विवादित या अवगुणी व्यक्ति, किसी की आलोचना , करने का अधिकारी, ही नहीं होता। सबसे पहले दशहरा की, सभी देशवासियों को बधाई। नौ रात्रि में, नारी शक्ति की पूजा के बाद, दशहरा का पर्व मनाते हैं। जगह जगह धूमधाम से, रावण के दस सिर वाला, पुतला दहन करते है। सवाल है, रावण अन्याई कहां? रावण के दस सिर का, अर्थ है मनुष्य में, दस दोष या बुराई।रावण ने अपने आराध्य, भगवान शिव को, नौ सिर अर्पित कर दिया था। नौ सिर यानी, नौ अवगुण, जो प्रायः सभी,मनुष्यों में, रहते हैं। केवल एक सिर यानी अहंकार का, त्याग नहीं कर सका था रावण।उस एक अवगुण के कारण, पूरी राक्षस जाति का, विनाश हुआ। आप रावण क्यों जलाएं? क्या आपको अधिकार है, रावण का पुतला फूंकने का? विचार करिए।एक ही दोष अहंकार के कारण, हर साल रावण जलाया जाता है तो, तुम्हारे भीतर सारे अवगुण हैं। अपने आप को ,अर्थात अपने दोषों को ,क्यों नहीं जलाते?रावण जैसा महान पंडित, न भूतो, न भविष्यति। कोई दूसरा रावण पैदा नहीं हुआ। रावण गलत होता तो सीता को, अशोक वाटिका में, क्यों रखता?अपने महल में क्यों नहीं ले गया? सोचिए, सीता राम की भार्या थीं, राम चौदह साल के वनवासी थे।यदि महल में ले जाता तो, क्या राम का व्रत भंग नहीं होता?महाप्रतापी, महाबली, तीनों लोक का विजेता रावण, जिससे देवता तक डरते थे। यदि लंपट होता तो, अकेले अशोक वाटिका जाता, पत्नी मंदोदरी को साथ, क्यों ले जाता? लंका पर चढ़ाई के लिए, राम शिवलिंग स्थापित कर, पूजन करना चाहते थे। रावण पूजा का सारा सामान और सीता को साथ लेकर आया। संकल्प के समय राम ने कहा, में लंकापति रावण का बध करना चाहता हूं। पुरोहित होने के रावण, आशीर्वाद देता है, एवमस्तु यानी ऐसा ही हो। विचार करिए, क्या कोई अपनी ही मृत्य का, आशीर्वाद दे सकता है? लेकिन रावण ने दिया। रावण ने कहा, हे राम! मैने सीता का हरण किया है। तुम अपनी शक्ति से, मुझ सहित मेरे सारे, राक्षस कुल का वध करो। ताकि हमें मोक्ष मिले। ऐसा महान चरित्र था रावण का। क्या आम मनुष्य, रावण से अपनी तुलना, कर सकता है। हरे नौरात्र में, क्वारी कन्याओं का पूजन करने वालों, बताओ तो, जब तुम उन कन्याओं का, शील हरण करते हो। हत्या कर देते हो तो, तुम किस हक से जलाते हो रावण? रावण जलाना हो तो, पहले राम बनो। राम का आदर्श सत्य प्रेम न्याय, को अपने जीवन में उतारो। जिस दिन तुम, निष्कलंक हो जाओगे, दोष रहित हो जाओगे। बेशक जलाना रावण। में कोई सवाल नहीं करूंगा। सत्यमेव जयते। धन्यवाद मुझे सुनने के लिए। एक कहानी है।किसी स्त्री को पापन कहकर पत्थर मारने की सजा पंचायत ने दी ।उक्त महिला ने सुलतान के सामने पत्थर मारकर दंड देने का अनुरोध किया।दंड स्थल पर सुल्तान ऊंचे आसन पर बैठे थे।उत्सुक थे कि महिला ने उनकी उपस्थिति में दंड देने की मांग की है तो जरूर कोई बात होगी। संभव है वह मुझसे अन्याय होने की शिकायत करे लेकिन महिला ने सुलतान के सामने शर्त रखी कि उसे पहला पत्थर वह मारे जिससे जाने अंजाने कोई पाप नहीं हुआ हो।सुलतान की उत्सुकता बढ़ी। ऐसा कौन है जिसने भूलकर भी कभी पाप नहीं किया हो? उपस्थित जन समुदाय सिर झुकाए खड़ा था। एक भी ऐसा व्यक्ति उस भीड़ में नहीं था जिससे पाप न हुआ हो। महिला ने भीड़ पर नजर दौड़ाई। देख रहे हैं न सुल्तान। इस भीड़ में सभी लोग पापी हैं। कोई मुझे पत्थर मारने का अधिकारी नहीं है। हां आप मालिक हैं। आप पत्थर मार सकते हैं क्योंकि राजा को ईश्वर समझा जाता है और ईश्वर कभी पाप नहीं करता। मारिए पत्थर। महिला की दहाड़ सुनकर सुलतान बोल पड़े, नहीं बहन मैंने भी निर्दोष को सजा देकर पाप किया है। इसलिए मुझे पत्थर मारने का कोई हक नहीं और हमारे देश में हर पत्थर मारने वाला व्यक्ति गलत होता है। सज्जन तो पत्थर मारना दूर,पत्थर मारने की सोच ही नहीं सकता लेकिन ऊंची संवैधानिक पद पर बैठा कोई व्यक्ति जिसके दामन ही दागदार हो किस हैसियत से रावण का पुतला फूंका? पुतले को फूंकने के लिए राम बनना पड़ेगा। कोई राम बनना नहीं चाहता। सोचता है मैं राम हूं। मर्यादा पुरुषोत्तम बनने के लिए सत्य व्रत लेना जरूरी है। बिना अपराध ही राम ने चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। युद्ध लड़े। पूरी रावनी सेना का वध किया। आम व्यक्ति की तरह सुग्रीव से मैत्री और मित्रता के लिए मित्र पर अन्याय करने वाले का वध किया। अनीति के कारण शंबूक का वध किया। रामराज्य जैसा असाधारण व्यवस्था न्यायशील बनाई जिस कारण अपनी गर्भिणी पत्नी का त्याग किया। वह त्याग भी जनहित में था जिससे आम व्यक्ति शिक्षा ले कि राम राजा होते हुए भी जब साधारण व्यक्ति धोबी को आदर देते हैं तो हम सभी को हर व्यक्ति का आदर करना होगा।अनादर और पीड़ित करने वाला पापी ही नहीं महापापी होता है फिर वाह रावण के पुतले का दहन कैसे कर सकता है?