
वी बी माणिक
मुंबई। रेलवे की सुरक्षा के लिए कार्यरत रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) में इस समय संख्या बल का गंभीर अभाव है। करीब पचास प्रतिशत कर्मियों की कमी के कारण यह बल अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रहा है। वर्षों से भर्ती नहीं होने के कारण स्थिति और भी चिंताजनक बनती जा रही है। पूर्व महानिदेशक मनोज यादव और अरुण कुमार के कार्यकाल में भी आरपीएफ को सशक्त बनाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था। वर्तमान डीजी सोनाली मिश्रा के कार्यकाल में भी अब तक नई भर्ती या बल विस्तार को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है। आरपीएफ का स्थापना दिवस हर वर्ष सितंबर में मनाया जाता है, लेकिन इस बार 20 सितंबर को होने वाली स्थापना दिवस परेड 13 अक्टूबर को आयोजित की जा रही है। सवाल यह उठता है कि आरपीएफ में अनुशासन और परंपरा की बात करने वाले अधिकारी ही नियमों से इस तरह विचलित क्यों हो रहे हैं। वलसाड में होने वाले इस कार्यक्रम में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के भी शामिल होने की संभावना है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मंत्री और डीजी इस मौके पर आरपीएफ में नई भर्ती की कोई घोषणा करेंगे। रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था फिलहाल राज्य सरकार के एमएसएफ और होमगार्ड बल पर भी निर्भर है। रेलवे द्वारा इन सेवाओं के लिए राज्य सरकार को भारी राशि दी जाती है, लेकिन इसके बावजूद कई थानों में महीनों तक अधिकारियों की नियुक्ति नहीं होती। अधिकांश आरपीएफ थानों में आधे से अधिक पद खाली पड़े हैं- चाहे वह सिपाही हों, हवलदार, उपनिरीक्षक या निरीक्षक। दीपावली के मौके पर बड़ी संख्या में कर्मचारी छुट्टियों पर हैं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था और भी कमजोर पड़ गई है। निरीक्षकों के सामने ड्यूटी प्रबंधन की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है।
इसके अलावा, एक और बड़ा सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि जब रेल कर्मचारियों को 78 दिनों का बोनस दिया गया, तो आरपीएफ कर्मियों को इससे वंचित क्यों रखा गया? क्या वे रेल परिवार का हिस्सा नहीं हैं? यह भेदभावपूर्ण रवैया आरपीएफ के मनोबल पर प्रतिकूल असर डाल रहा है। यह वही जवान हैं जो त्योहारों और आपात स्थितियों में अपने परिवार से दूर रहकर यात्रियों और रेलवे संपत्तियों की सुरक्षा करते हैं। हालांकि, कुछ आरपीएफ कर्मियों के नशे की हालत में ड्यूटी करने की शिकायतें भी सामने आई हैं, जिस पर नियंत्रण की आवश्यकता है। स्थापना दिवस के मौके पर यह उम्मीद की जा रही है कि डीजी सोनाली मिश्रा न केवल आरपीएफ के संख्या बल की कमी को दूर करने के उपायों की घोषणा करेंगी, बल्कि बल के मनोबल को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने का भी भरोसा दिलाएंगी।