Thursday, November 21, 2024
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गगन यान की खबर दबा दी गई!

लेखक – जितेंद्र पाण्डेय
इसरो जो दिन रात नए नए इतिहास घड़ता रहता है की महत्त्वपूर्ण खबर, गगन यान की पहली परीक्षण उड़ान, बड़े समाचार पत्रों की हेडिंग नहीं बन सकी। बिलकुल नीचे कोने में खबर छापी जाना, मीडिया के पतन की गाथा है। वैश्विक अंतरिक्ष उड़ान में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार चंद्र यान 3 उतार कर दुनिया भर में भारत का भाल ऊंचा करने वाले इसरो की खबर एक कोने में छपनी किसी त्रासदी से कम नहीं है।मुख्य समाचार पत्र न जाने कब सुधरेंगे या कभी नहीं सुधरेंगे? पीएम मोदी कोई भी नई ट्रेन शुरू करते समय झंडी दिखाने के लिए चले जाते हैं तो वह मुख्यधारा की गोदी मीडिया में बहुत बड़ी खबर बन जाती है। जहां दलाल मीडिया उसे मोटी हेडिंग देकर प्रमुखता से छापते और चैनल्स पर बार बार हाई लाइट कर चमचा गिरी की सारी सीमा पार कर जाते हैं जबकि वे अच्छी तरह जानते हैं कि ट्रेन को हरी झंडी दिखाना रेलवे स्टेशन मास्टर का काम है न कि राष्ट्र के प्रधानमंत्री का। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री हर छोटी बड़ी बातों को अपने से जोड़कर सारा श्रेय लेना चाहते हैं जबकि कोई ट्रेन बनाना, रेलवे इंजिनियर और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का काम है और उनकी मेहनत और लगन से नई ट्रेन बनती और चलती है। ट्रेन का संचालन रेलवे विभाग के कर्मचारियों का काम है न कि रेलवे मंत्री अथवा प्रधानमंत्री का। जिस चीज में मोदी जुड़े हों उसे प्रमुखता से खबर बनाकर छपना और चैनल्स पर बखान करना गोदी मीडिया की गिरी हुई मानसिकता का परिचायक है जैसे हमारे प्रधानमंत्री का सिर्फ एक ही काम है ट्रेन को हरी झंडी दिखाना और उद्घाटन और घोषणाओं पर घोषणाएं करते जाना। भले ही वह योजना शुरू जी न हो। शुरू हो भी तो पूरी न हो।ऐसे तमाम उदाहरण हैं जिनकी घोषणाएं बड़े फख्र से पीएम करते हैं लेकिन वे सारी घोषणाएं उपेक्षा के तले दबकर दम तोड देती हैं। अखबार मालिक चरण चुम्बन करते हुए उसे अभूतपूर्व उपलब्धि बताने में लग जाते हैं और चाटुकार टी वी एंकर्स के लिए चापलूसी करने का अमोघ अस्त्र मिल जाता है। इसरो के महान वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स ने कठोर श्रम और बुद्धि कौशल का परिचय देते हुए चंद्र यान का दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कराई लेकिन किसी बड़े समाचार पत्र और इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने कभी भी किसी वैज्ञानिक का नाम तक लेना गंवारा नहीं समझा। लैंडिंग और मोदी की बड़ी फोटो डालकर उन्हें सारा श्रेय देने की चाटुकारिता में लगे रहे यह जानते हुए भी कि मोदी सरकार बनते ही इसरो के बजट में हजारों करोड़ रुपए की कमी कर दी गई और चंद्र यान की डिजाइन बनाकर सारा कुछ तैयार करने वाले इंजीनियरों और तकनीशियनों को सत्रह माह से वेतन ही नहीं दिया गया था। वे जुबानी कभी भी दंभ नहीं भरते कि वे राष्ट्रभक्त और राष्ट्रप्रेमी हैं बल्कि अपने अनुपम कार्य से ही अपनी देशभक्ति प्रमाणित करते रहते हैं। वैज्ञानिकों का अभिनंदन न करते हुए लज्जित नहीं हुए अखबार मालिक, संपादक और गोदी मीडिया के चाटुकार एंकर्स। लानत है उन्हें। इसरो ने अंतरिक्ष में एक और कदम आगे बढ़ा दिया है। मानव सहित गगन यान अंतरिक्ष में भेजने की। इसके लिए इसरो ने शनिवार को टेस्ट व्हीकल अबार्ट मिशन-1 यानी टीवी-डी-1 के द्वारा अपने पहले क्रू मॉड्यूल का परीक्षण शुरू कर दिया है। इसरो इसके द्वारा अपने महत्त्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगन यान की यात्रा को रफ्तार देने में लगा हुआ है। यह परीक्षण उड़ान जिसमें क्रू मेंबर रहेंगे आज ही शुरू किया गया है। एसडीएससी-एसएचएआर श्रीहरिकोटा से छोड़ा जा चुका है जो अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की कक्षा में ले जाएगा। फिर उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर लाया जाएगा। ऐसा करके इसरो अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में देश का झंडा गाड़ देगा। यह परीक्षण उड़ान बाद की उड़ानों के लिए मील का पत्थर और सहायक साबित होगा। इसरो की योजना 2025 तक मनुष्य को अंतरिक्ष में ले जाने की है।परीक्षण उड़ान के पश्चात यान को श्री हरि कोटा से दस किलोमीटर दूर सुरक्षित रूप से समुद्र में उतारा जाएगा। जिसे बंगाल की खाड़ी में नौसेना इस मॉड्यूल को ढूंढकर सुरक्षित भूमि तक लगी।
इस गगन यान में परीक्षण में भेजे गए यान और क्रू मेंबरों को सुरक्षित उतरना बहुत बड़ी चुनौती है लेकिन इसके समाधान के लिए हवाई वितरण अनुसंधान एवम विकास प्रतिष्ठान यानी एडीआरडीई ने ऐसा रिकवरी सिस्टम विकसित किया है जो अब तक के मौजूद सिस्टम से कई गुना अधिक सुरक्षित है। इस क्रू मॉड्यूल रिकवरी सिस्टम में दस पैराशूट लगे हैं जो मॉड्यूल वापसी में क्रू मेंबर को सुरक्षित उतारने में मदद करेंगे। एडीआरडीई देश का इकलौता प्रतिष्ठान है जो पैराशूट विकसित करता है। इसमें हैवी ड्रॉप सिस्टम भी है। चार वर्ष पूर्व ही इसने गगन यान के लिए क्रू मॉड्यूल रिकवरी सिस्टम विकसित करने में लगा हुआ था। गहन यान में कुल तीन यात्री अंतरिक्ष में जाएंगे। कुल दस पैराशूट में से दो एपेक्स कवर सेपरेशन वाले भाग में लगे हुए हैं।ये सुरक्षा कवच का काम करते हैं। मॉड्यूल की गति को नियंत्रित करना इनका प्रमुख कार्य है। इसके साथ ही पायलट प्रणाली और मुख्य पैराशूट हैं जिनमें तीन तीन पैराशूट लगे हैं। इनके खुलने के साथ ही गति धीमी होकर नियंत्रित होने लगेगी। जिससे सुरक्षित लैंडिंग संभव होगी। खुशी की बात यह है कि इस सिस्टम का परीक्षण मालपुरा ड्रॉपिंग जोन आगरा सहित कई अन्य स्थानों पर स्थलीय सफल परीक्षण किया जा चुका है। हम अर्थात समूचा देश इस अभियान की सफलता के लिए मंगल कामना करता हुआ आशान्वित है। इसरो के वैज्ञानिकों , क्रू मेंबर्स और एडीआरडीई के कुशल तकाशियनों को देश की 140 करोड़ जनता की ओर से सफलता हेतु अनंत शुभकामनाएं।

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