मुंबई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता रहे दिवंगत गोपीनाथ मुंडे के नाम पर बने एक ग्रामीण शिक्षा एवं शोध संस्थान के प्रशासन ने महाराष्ट्र सरकार से उसके बुनियादी ढांचे में सुधार और विभिन्न पाठ्यक्रमों के कुशल संचालन के लिए स्थायी संकाय सदस्यों की नियुक्ति के लिए लगभग 275 करोड़ रुपये की लंबित धनराशि जारी करने की मांग की है। औरंगाबाद स्थित संस्थान की स्थापना और इसके लिए 279 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने की घोषणा राज्य सरकार ने 2016 में की थी जब देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार सत्ता में थी। मध्य महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के सबसे बड़े शहर औरंगाबाद में आयोजित एक विशेष कैबिनेट बैठक के दौरान यह घोषणा की गई थी। संस्थान के एक अधिकारी ने बताया कि गोपीनाथराव मुंडे राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं अनुसंधान संस्थान को अब तक सरकार से केवल 4.40 करोड़ रुपये ही मिले हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे मुंडे की 2014 में नई दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। अधिकारी ने कहा, संस्थान के लिए शुरू में 12 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे। हालांकि, संस्थान को अब तक स्वीकृत राशि में से केवल 4.40 करोड़ रुपये ही मिले हैं, जिसमें 2019-2020 में 3.60 करोड़ रुपये, 2016-2018 में 70 लाख रुपये और 2018-19 में 10 लाख रुपये शामिल हैं। संस्थान डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय परिसर से संचालित होता है। संस्थान के प्रभारी निदेशक प्रोफेसर बी के सखाले ने कहा, हमारे पास अपना भवन नहीं है। लेकिन अब हम डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में शिफ्ट हो रहे हैं। हमारे पास 16 कर्मचारी हैं। इनमें से कुछ निश्चित वेतन पर हैं और कुछ प्रति घंटे काम के आधार पर नियोजित हैं। हमारा संस्थान सामाजिक-संस्कृति और राजनीतिक पहलुओं, ग्रामीण बैंकिंग और उद्योग, जैव विविधता के संरक्षण और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विषयों में मास्टर डिग्री प्रदान करता है। उन्होंने कहा, हम छह डिप्लोमा और पांच सर्टिफिकेट कोर्स भी चला रहे हैं। हमें इन पाठ्यक्रमों को चलाने के लिए कम से कम आठ स्थायी शिक्षकों की आवश्यकता है क्योंकि हर साल दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है। अपना भवन और छात्रावास जैसी कई परियोजनाएं धन की कमी के कारण लंबित हैं। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम चलाने के अलावा, संस्थान मराठवाड़ा क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में लागू सरकारी योजनाओं के प्रभाव का विश्लेषण भी करता है। विश्वविद्यालय प्रबंधन परिषद के सदस्य गजानन सनप ने कहा कि संस्थान के लिए लंबित धनराशि तत्काल जारी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा अगर हम संस्थान का नाम रोशन करना चाहते हैं और चाहते हैं कि यह कुशलता से काम करे तो लंबित धन तत्काल जारी किया जाना चाहिए। इसके साथ ही नए पदों के लिए स्वीकृति दी जाए और संस्थान में कार्यवाहक प्रभारी नहीं होना चाहिए। देवेंद्र फडणवीस (उपमुख्यमंत्री) और चंद्रकांत पाटिल (कैबिनेट मंत्री) इस संस्थान के अभिभावक हैं और उन्हें इन मुद्दों पर गौर करना चाहिए।