मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने शहर में वायु गुणवत्ता में गिरावट पर मंगलवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए चिंता व्यक्त की। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने इस मामले पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार, बृहन्मुंबई महानगरपालिका, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से जवाब मांगा। पीठ मुंबई में खराब वायु गुणवत्ता का मुद्दा उठाते हुए शहर के तीन निवासियों द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी। मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक हर दिन खराब होता जा रहा है। मुंबई के एक भी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता बेहतर नहीं है। अदालत ने कहा कि वह चाहती है कि सभी संबंधित अधिकारी बताएं कि उन्होंने क्या उपाय किये हैं और मौजूदा कानूनों के तहत उन्हें क्या कदम उठाने चाहिए। अदालत ने मामले की सुनवाई छह नवंबर को तय की है। याचिकाकर्ता अमर बबन टिके, आनंद झा और संजय सुर्वे ने अपनी जनहित याचिका में अनुरोध किया है कि शहर में प्रदूषण पर अंकुश लगाने और शहर में सार्वजनिक स्थानों पर तेजी से बढ़ने वाले पेड़-पौधों का पौधारोपण अभियान चलाने के लिए सरकार और स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिया जाए। याचिका में कहा गया कि लापरवाह तरीके से चल रही निर्माण गतिविधियों और हरित क्षेत्र की कमी के कारण मुंबई में वायु प्रदूषण काफी बढ़ गया है और इसका स्थानीय लोगों, विशेषकर बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।