
मुंबई। मुंबई विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में बुधवार को आयोजित राष्ट्रीय तैराकी चैंपियनशिप 2025 के पुरस्कार वितरण समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन ने भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के सपने को दिव्यांगजनों की प्रगति से जुड़ा बताया। उन्होंने कहा कि बौद्धिक रूप से अक्षम नागरिकों के सर्वांगीण विकास और पुनर्वास के लिए खेलों को हर जिले में एक प्रभावी केंद्र बनाया जाना चाहिए। इस समारोह में दिव्यांगजन कल्याण मंत्री अतुल सावे, स्पेशल ओलंपिक इंडिया की अध्यक्ष डॉ. मल्लिका नड्डा, महाराष्ट्र शाखा की अध्यक्ष डॉ. मेधा सोमैया, महासचिव डॉ. भगवान तलवारे और एथलीट करण नाइक व मुर्तुजा वर्दावाला समेत कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। राज्यपाल ने बताया कि मुंबई में आयोजित इस प्रतियोगिता में 40 से अधिक स्पर्धाएं आयोजित की गईं, जो प्रतिभागियों की एकाग्रता, समर्पण और सेवा भावना को दर्शाती हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिव्यांगजनों के लिए हुए सुधारों का उल्लेख करते हुए बताया कि 2016 में लागू “दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम” के तहत विकलांगता की श्रेणियां बढ़ाई गई हैं, और सरकारी नौकरियों में आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत तथा शिक्षा में 5 प्रतिशत कर दिया गया है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित ‘दिव्यांग कल्याण विभाग’ की सराहना करते हुए बौद्धिक रूप से अक्षम बच्चों के लिए लागू की गई पहलों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इन व्यक्तियों की समस्याएं अन्य दिव्यांगों से अधिक संवेदनशील होती हैं और समाज को उनके लिए स्वीकृति, प्रोत्साहन व अवसर प्रदान करने चाहिए। राज्यपाल ने बल दिया कि दिव्यांगजनों के लिए काम करने वाली संस्थाओं, स्कूलों और स्थानीय निकायों को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जो सिर्फ उपचार या शिक्षा तक सीमित न रहे, बल्कि उनके जीवन में सामंजस्य और आत्मनिर्भरता लाए। उन्होंने कहा कि सरकार की भूमिका महत्त्वपूर्ण है, लेकिन एक समाज के रूप में नागरिकों की भागीदारी भी उतनी ही जरूरी है। इस अवसर पर उन्होंने यह भी गर्व के साथ कहा कि विशेष ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन लगातार सुधर रहा है और 2023 में बर्लिन में आयोजित विश्व ग्रीष्मकालीन खेलों में भारतीय एथलीटों ने 200 से अधिक पदक जीतकर देश का नाम गौरवान्वित किया है।