
मुंबई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र में मनुष्यों पर तेंदुओं के बढ़ते हमलों को देखते हुए इसे राज्य आपदा घोषित करने का प्रस्ताव अगली कैबिनेट बैठक में प्रस्तुत करने और तेंदुओं को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 से हटाकर अनुसूची-2 में शामिल करने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में तेंदुओं को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने और पुणे जिले में दो आदमखोर तेंदुओं के बचाव केंद्र स्थापित करने के भी निर्देश दिए। मंगलवार को मुख्यमंत्री फडणवीस की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, वन मंत्री गणेश नाईक, जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन, मुख्य सचिव राजेश कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में राज्य में तेंदुओं के हमलों पर तत्काल और दीर्घकालिक उपायों पर चर्चा की गई। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि तत्काल उपायों में ड्रोन की मदद से गाँवों और शहरों के पास विचरण कर रहे तेंदुओं को ढूँढकर पकड़ना शामिल होगा। इसके लिए आवश्यक पिंजरे, वाहन और मानवशक्ति की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। दीर्घकालिक उपायों में तेंदुओं की नसबंदी और पुणे जिले में बचाव केंद्रों की स्थापना शामिल है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि तेंदुओं की समस्या से नागरिकों में भय बढ़ा है। उन्होंने सुझाव दिया कि मौजूदा बचाव केंद्रों की क्षमता बढ़ाई जाए और तेंदुओं के विचरण वाले इलाकों में मानव संसाधन एवं वाहन बढ़ाए जाएँ। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि तेंदुओं के हमलों के कारण कानून-व्यवस्था प्रभावित हो रही है। उन्होंने पुलिस और वन विभाग की गश्त बढ़ाने के साथ पुणे, अहिल्यानगर और नासिक जिलों के स्कूलों का समय बदलने की आवश्यकता बताई। वन मंत्री गणेश नाइक ने बताया कि जंगल में भोजन की कमी के कारण तेंदुए मानव बस्तियों में आ रहे हैं। इसलिए प्रभावित जंगलों में बकरियाँ छोड़कर उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही, पुणे जिले में तेंदुओं को पकड़ने के लिए 1200 पिंजरे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। बैठक में पूर्व मंत्री दिलीप वाल्से-पाटिल, दौंड विधायक राहुल कुल, कोपरगाँव विधायक आशुतोष काले सहित अन्य प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्रों में तेंदुओं की समस्याओं के बारे में अवगत कराते हुए तुरंत कार्रवाई की मांग की।




