
मुंबई। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने बुधवार को महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत को मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की राजपत्र अधिसूचना सौंपी। यह ऐतिहासिक कदम मराठी भाषा की गहरी और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को मान्यता प्रदान करता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 अक्टूबर को मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मंजूरी दी थी। मंत्री सामंत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय संस्कृति मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अगले 8-15 दिनों में केंद्र को आवश्यक प्रस्ताव सौंपा जाएगा। एक समिति, जिसकी अध्यक्षता लेखक और महाराष्ट्र राज्य साहित्य और संस्कृति मंडल के प्रमुख सदानंद मोरे कर रहे हैं, इस फैसले को लागू करने की दिशा में अध्ययन कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने इस अध्ययन के लिए धन उपलब्ध कराने का भी आश्वासन दिया। सामंत ने यह भी घोषणा की कि केंद्रीय मंत्री शेखावत 31 जनवरी को पुणे में होने वाले दो दिवसीय विश्व मराठी सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। राज्य सरकार इस सम्मेलन के माध्यम से मराठी भाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित और बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखती है। मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने का प्रयास 2013 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा शुरू किया गया था। भाषा विशेषज्ञ समिति ने मराठी को शास्त्रीय भाषा के रूप में अनुशंसित किया, लेकिन प्रक्रिया में कई वर्षों तक देरी हुई। 2017 में गृह मंत्रालय ने इस मान्यता के लिए मानदंडों को और सख्त बनाने की सलाह दी थी। महायुति सरकार ने दावा किया कि उनके प्रयासों से यह उपलब्धि संभव हुई। मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से शैक्षणिक और अनुसंधान क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होने की संभावना है। यह निर्णय न केवल मराठी भाषा के संरक्षण और संवर्धन में सहायक होगा, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को भी वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाएगा।