नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अजित पवार गुट को अपने अंतरिम आदेश का सख्ती से पालन करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि अजित पवार गुट को अपने पार्टी विज्ञापनों में यह अस्वीकरण(डिस्क्लेमर) शामिल करना चाहिए कि पार्टी का “घड़ी” चुनाव चिन्ह कोर्ट में विचाराधीन है और अंतिम निर्णय अदालत के फैसले पर निर्भर है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने पवार गुट से 36 घंटे के भीतर मराठी सहित अन्य भाषाओं के समाचार पत्रों में यह स्पष्टीकरण प्रकाशित करने का आदेश दिया। यह मामला शरद पवार गुट की ओर से दायर एक याचिका पर आधारित है, जिसमें मांग की गई थी कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान अजित पवार गुट को अस्थायी रूप से घड़ी के स्थान पर एक नया चुनाव चिन्ह दिया जाए। कोर्ट ने इस मामले पर विचार करते हुए पहले ही एक अंतरिम आदेश दिया था, जिसमें पार्टी के प्रचार सामग्री में अस्वीकरण देने का निर्देश शामिल था। इस आदेश के बावजूद देरी होने पर कोर्ट ने अजित पवार गुट को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि अस्वीकरण अगले 36 घंटे के भीतर प्रकाशित होना चाहिए।
पहले की सुनवाई और आदेश
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि दोनों पक्षों को उसके आदेशों का सख्ती से पालन करना चाहिए। 19 मार्च के अंतरिम आदेश में अदालत ने निर्देश दिया था कि अजित पवार गुट द्वारा घड़ी के चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगा और यह अस्वीकरण हर पर्चे, विज्ञापन, ऑडियो-वीडियो क्लिप में शामिल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी-एसपी) भी घड़ी चिन्ह का उपयोग नहीं करेगी और उसके भी इसी आदेश का पालन करने का निर्देश दिया गया था। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी इस आदेश का सम्मान करें और अदालत के निर्देशों का उल्लंघन न करें। सुप्रीम कोर्ट में शरद पवार गुट के नेता जयंत पाटिल ने एक अलग याचिका भी दायर की है, जिसमें उन्होंने अजित पवार गुट के विधायकों को शिवसेना-भाजपा गठबंधन में शामिल होने के चलते अयोग्य ठहराने की मांग की है।