
रायगढ़। महाराष्ट्र के रायगढ़ के इरशालवाड़ी गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। जिस ओर नजर जाती है उस ओर मातम के सिवा कुछ और नहीं है। अपनों को खोने का दुख पहाड़ से भी ऊंचा है और परिजनों की रो-रोकर आखें सूख चुकी हैं। भूस्खलन ने ऐसी तबाही मचाई है कि २७ लोगों की जान चली गई है। अभी भी मलबे में ७८ लोग दबे होने की बात कही जा रही है, जबकि सरकार ने ५७ लोगों के दबे होने की आशंका जताई है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और अन्य एजेंसियों ने रविवार को रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर दिया है। ये रेस्क्यू ८५ घंटे से ज्यादा समय तक चलाया गया। संरक्षक मंत्री उदय सामंत ने बताया है कि बीते ४ दिनों से एनडीआरएफ और अन्य सामाजिक संस्था राहत और बचाव कार्य मे जुटी हुई थीं। इस गांव में लोगों की संख्या २२८ थी। अब तक २७ शवों को मलबे से निकाला जा चुका है। वहीं, कुल १४३ लोगों को बचाया गया है। इन सभी लोगों को शहर एवं औद्योगिक विकास निगम की तरफ से घर बनाकर दिया जाएगा।
भूस्खलन से २२ बच्चे हुए अनाथ
उन्होंने कहा कि इस समय भी ५७ लोगों के मलबे के अंदर दबे होने की आशंका है। रेस्क्यू ऑपरेशन बंद करने से पहले गुमशुदा हुए लोगों के परिजनों को विश्वास में लिया गया है। हालांकि बीते दिन शनिवार को मंत्री सामंत ने दावा किया था कि मलबे में ७८ लोग दबे हुए हैं। मंत्री उदय सामंत का कहना है कि इरशालवाड़ी गांव जैसी भविष्य में दोबारा घटना न हो उसके लिए कदम उठाए जाएंगे और ५ गांवों को दोबारा बसाया जाएगा। कुल २० गांवों का सर्वे किया जाएगा। साथ ही साथ १ साल के अंदर भूस्खलन प्रभावित लोगों को पक्का कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि भूस्खलन की घटना के कारण कुल २२ बच्चे अनाथ हुए हैं। इन सभी बच्चों की देखरेख श्रीकांत शिंदे फाउंडेशन करेगा।