
जालना। भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने ऋण और अग्रिमों से संबंधित नियामकीय दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर मोतीराम अग्रवाल जालना मर्चेंट्स कोऑपरेटिव (MAJMC) बैंक पर 6 लाख रुपए का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई आरबीआई द्वारा बैंक के प्रबंधन और संचालन की समीक्षा के तहत किए गए वैधानिक निरीक्षण के बाद की गई है। आरबीआई के अनुसार, बैंक ने निदेशकों को ऋण देने के दिशा-निर्देशों का गंभीर उल्लंघन किया। नियामक ने बैंक से स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन दी गई प्रतिक्रिया असंतोषजनक पाई गई, जिसके चलते यह दंडात्मक कदम उठाया गया। सूत्रों के अनुसार, बैंक के तत्कालीन निदेशक मनोज शिंगारे को वर्ष 2022 में कुल 9 करोड़ रुपए का ऋण स्वीकृत किया गया था, जो नियामकीय दृष्टि से हितों का टकराव (conflict of interest) माना गया। इस ऋण में से अब तक केवल 4 करोड़ रुपए की ही वसूली हो पाई है, जबकि 5 करोड़ रुपए अभी भी बकाया हैं। इस मामले में और भी गंभीर बात यह है कि ऋण वितरित करते समय आवश्यक बंधक मानदंडों, जैसे पर्याप्त सुरक्षा, संपत्ति मूल्यांकन और दस्तावेज़ सत्यापन का पालन नहीं किया गया। ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से दिखाया गया कि ऋण प्रक्रिया में कई स्तरों पर लापरवाही बरती गई और यह आंतरिक नियंत्रणों की कमी को उजागर करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सहकारी बैंकों में इस प्रकार के हितसंपन्न ऋण न केवल वित्तीय अनुशासन को खतरे में डालते हैं बल्कि जमाकर्ताओं के हितों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। आरबीआई द्वारा लगाया गया यह जुर्माना एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है कि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब यह देखना होगा कि MAJMC बैंक बकाया ऋण की वसूली को कैसे अंजाम देता है और आंतरिक प्रक्रियाओं में किस तरह की पारदर्शिता और सुधार लाता है ताकि भविष्य में इस तरह की चूक को रोका जा सके।