
मुंबई। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लोकसभा सांसद नारायण राणे ने सोमवार को मुंबई की मजिस्ट्रेट कोर्ट में मानहानि मामले में खुद को निर्दोष बताया। यह मामला शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत द्वारा दायर मानहानि याचिका से जुड़ा है, जो राणे के 2023 में दिए गए कथित बयानों पर आधारित है। संजय राउत का आरोप है कि जनवरी 2023 में उपनगरीय भांडुप में आयोजित कोंकण फेस्टिवल के दौरान राणे ने उनके खिलाफ मानहानिकारक और झूठे बयान दिए थे। राणे ने कथित रूप से कहा था कि राउत का नाम मतदाता सूची में नहीं है और उन्हें राज्यसभा तक पहुंचाने में उनकी (राणे की) मदद रही है। सोमवार को मजिस्ट्रेट ए. ए. कुलकर्णी की अदालत में पेश होकर राणे ने आरोपों से इनकार किया। इसके बाद कोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई गवाहों की जांच के साथ 11 नवंबर से शुरू करने का निर्णय लिया।
कोर्ट की कार्यवाही और विशेष कोर्ट का फैसला
अप्रैल में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने राउत की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए राणे को समन जारी किया था। राणे ने इस आदेश को विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट में चुनौती दी, यह कहते हुए कि उनके खिलाफ मानहानि का मामला नहीं बनता। उनका तर्क था कि समन जारी करते समय मजिस्ट्रेट ने उचित कारण नहीं बताए और न्यायिक विवेक का प्रयोग नहीं किया। हालांकि, विशेष कोर्ट ने राणे की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि राणे के बयान अस्पष्ट, बिना सबूत और सार्वजनिक मंच से दिए गए थे, जो दुर्भावना का संकेत देते हैं और मानहानि कानून की शर्तों को पूरा करते हैं। अब यह मामला गवाहों की गवाही के साथ आगे बढ़ेगा। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 और 500 के तहत राणे को सजा हो सकती है।