
मुंबई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने रविवार को एक बड़ा दावा करते हुए कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की मतदाता सूची में लगभग 96 लाख फर्जी मतदाता जोड़े गए हैं। मुंबई महानगर क्षेत्र के पदाधिकारियों की एक सभा को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि केवल मुंबई में ही करीब 8 से 10 लाख फर्जी नाम जोड़े गए हैं, जबकि ठाणे, पुणे और नासिक में भी इसी तरह की गंभीर अनियमितताएँ पाई गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मतदाता आंकड़ों में सुनियोजित हेराफेरी है, जिसका उद्देश्य स्थानीय और क्षेत्रीय दलों, विशेषकर मराठी जनाधार वाले दलों को कमजोर करना है। राज ठाकरे ने कहा कि जब तक मतदाता सूचियों का पूर्ण सत्यापन और पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं हो जाती, तब तक राज्य में चुनाव नहीं कराए जाने चाहिए। उन्होंने इस स्थिति को “लोकतंत्र के साथ छल” बताते हुए कहा कि “एक बार ज़मीन चली गई तो उसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है,” और यह भी जोड़ा कि मराठी अस्मिता और राजनीतिक अधिकार आज खतरे में हैं। ठाकरे ने सत्तारूढ़ दल पर मतदाता सूची में हेराफेरी कर शासन के सभी स्तरों पर नियंत्रण स्थापित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की भूमिका संदिग्ध हो गई है क्योंकि उसने 25 जुलाई के बाद मतदाता सूची को अपडेट करने पर रोक लगाकर कई युवाओं को उनके मताधिकार से वंचित कर दिया है। उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पुराना भाषण उद्धृत किया, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग पर चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था, और कहा कि वही स्थिति अब महाराष्ट्र में दोहराई जा रही है। मनसे प्रमुख ने कहा कि अब समय आ गया है कि सभी राजनीतिक दल घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन अभियान चलाएँ। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल के कई विधायक स्वयं मतदाता सूची में छेड़छाड़ की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर चुके हैं। ठाकरे के अनुसार, महाराष्ट्र के हालिया चुनाव परिणाम वास्तविक जनभावना नहीं, बल्कि “डेटा में हेराफेरी” का परिणाम हैं। उन्होंने पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए मतपत्रों से मतदान की वापसी की माँग की और कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) प्रणाली पर भरोसा अब समाप्त हो चुका है। ठाकरे ने यह भी आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के बुनियादी ढाँचे और संसाधनों को “कुछ शक्तिशाली उद्योगपतियों” के हवाले किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सी लिंक और अटल सेतु जैसी परियोजनाएँ जनता की जरूरतों के बजाय कॉर्पोरेट हितों की पूर्ति के लिए बनाई जा रही हैं। राज ठाकरे के इन आरोपों से पहले, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी मतदाता सूची में “वोट चोरी” के आरोप उठाए थे, जिसके बाद महाराष्ट्र में विपक्षी दलों ने मुंबई, ठाणे और पालघर जैसे शहरी क्षेत्रों में मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए थे। हालाँकि, भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) और न्यायालयों ने इन आरोपों को “राजनीतिक रूप से प्रेरित” बताते हुए खारिज कर दिया था। अगस्त 2025 में नालासोपारा में एक मतदाता का नाम मतदाता सूची में छह बार दर्ज पाए जाने का मामला सामने आया था, जिसे तकनीकी त्रुटि बताया गया था। अब मनसे प्रमुख के इस नए आरोप से राज्य में चुनावी पारदर्शिता, मतदाता पहचान और लोकतांत्रिक विश्वास को लेकर बहस एक बार फिर तेज़ हो गई है।