मालेगांव। मालेगांव में 2008 में हुए विस्फोट के मामले में एक विशेष एनआईए अदालत में गुरुवार को गवाहों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी हुई और अब अदालत आरोपियों के बयान दर्ज करेगी जिसमें भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर समेत सात आरोपी हैं और उनके खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानून यूएपीए तथा भारतीय दंड संहिता के तहत मामला विचाराधीन है। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की ओर से पेश हुये विशेष लोक अभियोजक अविनाश रसाल एवं अनुश्री रसाल ने विशेष न्यायाधीश ए के लाहोटी की अदालत में दाखिल लिखित दस्तावेज में कहा है कि उन्होंने साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग पूरी कर ली है और अब अभियोजन पक्ष के किसी और गवाह से पूछताछ की जरूरत नहीं है। पिछले पांच वर्षों में अभियोजन पक्ष के कुल 323 गवाहों से पूछताछ की गई, जिनमें से 34 मुकर गए। अदालत अब दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 के तहत आरोपियों के बयान दर्ज करेगी, जिसके बाद बचाव पक्ष के गवाहों के बयान और अंतिम दलीलें दर्ज की जाएंगी। आरोपियों को 25 सितंबर को बयान दर्ज कराने के लिये अदालत में में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है। इस बीच, अदालत ने एक गवाह को वापस बुलाने की आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ‘अनदेखे, अनिश्चित और अप्रकाशित दस्तावेजों’ के आधार पर ऐसा करना उचित नहीं होगा। महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के निकट हुए विस्फोट में कम से कम छह लोगों की मौत हो गयी थी जबकि 100 से अधिक लोग घायल हो गये थे। यह विस्फोट एक मोटरसाइकिल में हुआ था। मामले की जांच शुरूआत में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते ने की थी जिसे बाद में 2011 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण को सौंप दिया गया था।