मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बड़ा ऐलान किया है। मंगलवार को चंदीवली निर्वाचन क्षेत्र में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव इस साल नवंबर में होंगे। यह पहली बार है जब मुख्यमंत्री शिंदे ने विधानसभा चुनाव की संभावित तारीख पर खुलकर बात की है। कार्यक्रम के दौरान, शिंदे ने शिवसेना के विधायक दिलीप लांडे के समर्थन में पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट होने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि दो महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में हमें दिलीप लांडे को भारी बहुमत से जिताने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। शिंदे ने यह भी कहा कि शिवसेना और महायुति गठबंधन की जीत के लिए वह पूरी ताकत से मेहनत करेंगे। शिंदे के इस बयान से पहले, एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने भी इशारा किया था कि वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 26 सितंबर 2024 को समाप्त हो जाएगा, लेकिन चुनावी प्रक्रिया नवंबर के दूसरे सप्ताह तक पूरी हो सकती है। मुख्यमंत्री शिंदे ने हाल ही में पार्टी के सांसदों, मंत्रियों, विधायकों और पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की थी। इस बैठक में उन्होंने राज्य सरकार की विकास योजनाओं को जनता तक पहुंचाने का निर्देश दिया। चुनाव से पहले सरकार की योजनाओं और विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच प्रचार-प्रसार को और तेज करने पर जोर दिया जा रहा है। इस बीच, अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी भी चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है और लाडली बहना जैसी योजनाओं के माध्यम से राज्य में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी की चुनावी रणनीति
सूत्रों के मुताबिक, 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा 150-160 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है। जबकि बाकी 128 सीटें शिवसेना, एनसीपी और अन्य दलों के लिए छोड़ी जाएंगी। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की देखरेख में भाजपा ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी का लक्ष्य पूरे महाराष्ट्र के एक लाख बूथों तक पहुंचने का है। दूसरी ओर, महा विकास अघाड़ी के नेता शरद पवार, उद्धव ठाकरे और नाना पटोले ने सीट बंटवारे को लेकर अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने दावा किया है कि सीट बंटवारे में कोई समस्या नहीं होगी और वे महायुति सरकार को विधानसभा चुनाव में चुनौती देंगे। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सभी दल अपने-अपने समर्थकों को एकजुट करने और जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में लगे हुए हैं। अब देखना यह होगा कि महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में किसका पलड़ा भारी पड़ता है।