मुंबई। सुरक्षा एजेंसियां समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए मुंबई और गोवा के तटीय क्षेत्रों में ड्रोन निगरानी प्रणाली लगाने की योजना पर काम कर रही हैं। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कुवैत के तीन नागरिकों के ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ पहुंचने की एक हालिया घटना के मद्देनजर यह कदम उठाया गया। उन्होंने कहा कि यह घटना वर्तमान तटीय सुरक्षा व्यवस्था में कमजोरियों को रेखांकित करती है। अपने नियोक्ता पर दुर्व्यवहार के आरोप लगाते हुए वे तीनों-नीत्सो दिट्टो (31), विजय विनय एंथनी (29) और जे एस अनीश (29)-एक नौका से भारतीय समुद्री क्षेत्र में घुसे थे। अधिकारियों के समक्ष उनके आत्मसमर्पण करने के बाद, उन्हें पासपोर्ट (भारत में प्रवेश करने के) नियमों का उल्लंघन करने को लेकर गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारियों ने यह चिंता जताई कि ये लोग स्थानीय आबादी में आसानी से घुल-मिल सकते थे। अधिकारियों ने कहा कि उनके ‘ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम’ (जीपीएस) के फोरेंसिक विश्लेषण में कई त्रुटियां पाई गईं। उन तीनों ने दावा किया कि उन्होंने बैटरी बचाने के लिए जीपीएस उपकरण को बंद किया था। अधिकारियों का मानना है कि राष्ट्र-विरोधी तत्वों द्वारा इनका दुरुपयोग किया जा सकता है और उन्होंने देश की समुद्री सीमाओं पर निगरानी बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन का उपयोग किये जाने की हिमायत की है। मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमलों का हवाला देते हुए अधिकारियों ने तटीय निगरानी उपायों को बढ़ाने की तात्कालिकता को रेखांकित किया। आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे। सतर्कता बढ़ाने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि महाराष्ट्र की 652.6 किलोमीटर लंबी तटरेखा और गोवा की 101.0 किमी लंबी तटरेखा पर निगरानी के लिए लंबी दूरी के ड्रोन की तैनाती जरूरी है।