Sunday, July 27, 2025
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हनीट्रैप विवाद पर सियासत गरमाई: एकनाथ खडसे ने की सीबीआई जांच की मांग, सरकार पर दबाव में मामला दबाने का आरोप

मुंबई। महाराष्ट्र में कथित हनीट्रैप मामलों को लेकर राजनीतिक हलकों में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी-शरद गुट) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे ने राज्य के कुछ मंत्रियों और अधिकारियों पर लगे हनीट्रैप मामलों की सीबीआई जांच की जोरदार मांग की है। खडसे ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार इन मामलों को जानबूझकर दबा रही है, क्योंकि जांच होने पर सरकार के मंत्रियों के नाम सामने आ सकते हैं। खडसे ने कहा- हनीट्रैप मामलों की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। सरकार इसे दबाने की कोशिश कर रही है क्योंकि उसे डर है कि उनके मंत्रियों के नाम सामने आ सकते हैं। खडसे ने यह भी दावा किया कि नासिक में एक हनीट्रैप मामले में 72 अधिकारियों के नाम सामने आए हैं और इस पूरे षड्यंत्र में कई सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता की संभावना है। उन्होंने विशेष रूप से राज्य के मंत्री गिरीश महाजन का नाम लेते हुए कहा-उनका नाम सामने आ रहा है, लेकिन वह शामिल थे या नहीं, इसका खुलासा जांच के बाद ही हो सकता है। सरकार जिस तरह से धीमी गति से जांच कर रही है, वह संदेह को और गहरा करता है।
विपक्ष का हमला: संजय राउत ने भी लगाए गंभीर आरोप
इससे पहले शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर विधानसभा में गुमराह करने का आरोप लगाया था। उन्होंने एक वायरल तस्वीर का हवाला देते हुए एक्स(पूर्व ट्विटर) पर लिखा था। मुख्यमंत्री देवेंद्र जी ने कहा कि महाराष्ट्र में कोई हनीट्रैप नहीं है। इस एक तस्वीर की सीबीआई जांच कराई जाए, सच सामने आ जाएगा। चार मंत्री, कई अधिकारी फंसे हुए हैं। शिवसेना से अलग हुए चार युवा सांसद भी इस जाल में फंसकर भाग गए। वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए विधानसभा में स्पष्ट किया था कि अब तक राज्य में कोई हनीट्रैप का मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि सरकार इस प्रकार की बेबुनियाद और राजनीतिक प्रेरित आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देगी। हालाँकि, नासिक हनीट्रैप केस को लेकर कुछ समय पहले कुछ अफसरों की संदिग्ध गतिविधियों की खबरें सामने आई थीं, लेकिन इनकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी। विपक्ष लगातार यह सवाल उठा रहा है कि अगर ऐसे मामले नहीं हैं तो सरकार सीबीआई या एसआईटी जैसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने में हिचक क्यों रही है?

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