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झांसी, उत्तर प्रदेश। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत झांसी जिले में अब तक 157 लाभार्थियों को ई-वाउचर जारी किए गए हैं और 91 लाभार्थियों को ऋण स्वीकृत किया गया है। जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने योजना की समीक्षा बैठक में विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि पात्र शिल्पकारों और कारीगरों को अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया तेज की जाए।
6895 आवेदन, 2605 को स्वीकृति
योजना के तहत जनपद में एल-3 स्तर पर 6895 आवेदन पत्र प्राप्त हुए, जिनमें से 2605 आवेदन जिला स्तरीय समिति द्वारा अनुमोदित किए गए हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि योजना के प्रचार-प्रसार को बढ़ाया जाए ताकि पारंपरिक शिल्पकार और कारीगर अधिक से अधिक संख्या में इसका लाभ उठा सकें।
18 ट्रेड के शिल्पकारों को मिलेगा लाभ
पीएम विश्वकर्मा योजना में कुल 18 पारंपरिक ट्रेड शामिल हैं, जिनमें दर्जी, राज मिस्त्री, बढ़ई, लोहार, कुम्हार, मूर्तिकार, चर्मकार, नाई, धोबी, मालाकार, टॉय मेकर आदि शामिल हैं। पात्र लाभार्थियों को प्रशिक्षण के दौरान 500 रुपये प्रतिदिन मानदेय मिलेगा, साथ ही 15,000 रुपये का टूलकिट खरीदने हेतु ई-वाउचर प्रदान किया जाएगा।
बिना गारंटी मिलेगा 1-2 लाख रुपये का ऋण
योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को 5 प्रतिशत ब्याज दर पर बिना गारंटी 1 लाख रुपये का प्रथम ऋण दिया जाएगा, जिसे 18 महीनों में चुकाना होगा। इसके बाद 15 दिनों के अपस्किलिंग प्रशिक्षण के उपरांत 2 लाख रुपये का दूसरा ऋण मिलेगा, जिसे 30 महीनों में चुकाना होगा।
ट्रेड दर्जी, राज मिस्त्री और बढ़ई के आवेदन हुए समाप्त
बैठक में जानकारी दी गई कि केंद्र सरकार ने दर्जी, राज मिस्त्री और बढ़ई ट्रेड के नए आवेदन पोर्टल पर अग्रसारित करने का विकल्प समाप्त कर दिया है। अन्य ट्रेडों के पंजीकरण जारी रहेंगे। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि ग्राम प्रधान स्तर (एल-1) पर लंबित 821 आवेदन पत्रों की जल्द से जल्द जांच कर स्वीकृति दी जाए। उन्होंने विद्यालयों में भी योजना की जानकारी प्रसारित करने का सुझाव दिया ताकि युवा पीढ़ी भी इसका लाभ उठा सके।
बैठक में कई अधिकारी रहे मौजूद
इस बैठक में अपर नगर आयुक्त रोली गुप्ता, उपायुक्त प्रशासन जीएसटी जितेंद्र कुमार, उपायुक्त उद्योग मनीष चौधरी, सीओ सिटी रामवीर सिंह सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी, उद्यमी और व्यापारी उपस्थित रहे। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना पारंपरिक शिल्पकारों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, और झांसी में इसके प्रभावी क्रियान्वयन की प्रक्रिया तेजी से जारी है।