कहा- सीएम शिंदे चाय में सोने का अर्क डालते हैं क्या?
पवार का शिंदे-फडणवीस सरकार पर वार पर वार, चायपान का भी बहिष्कार
मुंबई। कल यानि सोमवार से महाराष्ट्र विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है। इससे पहले परंपरा के मुताबिक सीएम एकनाथ शिंदे ने विपक्षी नेताओं को चाय-पान के लिए निमंत्रित किया। विपक्ष ने चायपान का बहिष्कार किया। ना सिर्फ विपक्ष ने चायपान का बहिष्कार किया बल्कि विधानसभा में विपक्षी नेता अजित पवारने मुख्यमंत्री के वर्षा बंगले में चायपान के बिल पर सवाल उठा दिया। एनसीपी नेता और नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने कहा कि मुख्यमंत्री के वर्षा बंगले में पिछले चार महीने में २ करोड़ ३८ लाख रुपए का बिल आया है। इतना बिल? अजित पवार ने कहा, मैं भी उप मुख्यमंत्री रहा हू। और लोग भी मुख्यमंत्री-उप मुख्यमंत्री रहे हैं।खाने-पीने में इतना बिल कभी नहीं आया। चाय में सोने का अर्क डालते हैं क्या? अजित पवार ने शिंदे-फडणवीस की शिवसेना-बीजेपी सरकार के विज्ञापनों पर भी किए जाने वाले खर्चे पर सवाल उठाया।
पवार का शिंदे-फडणवीस सरकार पर वार पर वार, चायपान का भी बहिष्कार
अजित पवार ने कहा कि विज्ञापनबाजी में अनाप-शनाप खर्च किया जा रहा है। ग्रामीण भाग के विकास के लिए जो निधि रखी गई थी, वो अब तक खर्च नहीं की गई है. वित्तिय वर्ष खत्म होने को आया है। यानी यह तय है कि यह निधि खर्च हुए बिना वापस लौट जाएगी। सरकार निधि वितरित करने में भी असफल रह गई है। विकास के कामों में राजनीति होने की वजह से विकास प्रक्रिया मंद हुई है। पिछले बजट में मंजूर किए गए कामों को स्थगित किया गया। इससे विकास का काम पूरी तरह से ठप पड़ गया। एक महीने तीन दिन में वित्तिय वर्ष खत्म हो जाएगा। जिला वार्षिक योजना से जुड़े कितने पैसे खर्च हुए, पता करें। अब तक पैसे खर्च नहीं किए जा सके हैं।
सिर्फ मंत्रियों और सरकार समर्थक विधायकों के क्षेत्रों में पैसा बहाया जा रहा
अजित पवार ने कहा कि एक तरफ ग्रामीण इलाकों में विकास काम के लिए पैसे खर्च नहीं किए जा सके दूसरी तरफ मंत्रियों के क्षेत्रों में करोड़ों के काम किए जा रहे हैं। नागपुर में हुए विधानसभा के शीत सत्र में ५२ हजार करोड़ की पूरक मांग मंजूर की गई थी। तिजोरी का ध्यान ना रखतेहुए मंत्रियों और विधायकों के क्षेत्रों में जम कर काम हो रहा है और कहीं खर्च नहीं किया जा सका है। मंत्रालय (सचिवालय) में जनता के कामों से जुड़ी तीन हजार फाइलें पड़ी हुई हैं। उनमें हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। वे सब जनता के काम से जुड़ी फाइलें हैं।