लोकसभा स्पीकर ने विपक्षी सांसद द्वारा नोट बंदी पर सवाल उठाए जाने पर बेपरवाह हो लगभग डांटते हुए कहा, इतनी पुरानी बात को संसद में उठाना उचित नहीं है। वाह स्पीकर ओम बिरला जी।सत्ता पक्ष का बचाव और विपक्ष के प्रति भेदभाव बरतना कोई आप से सीखे। इंदिरा गांधी के द्वारा लगाई संवैधानिक इमरजेंसी तो पचास साल पहले की घटना है। उसे सदन में उठाना उचित तो चंद वर्ष पहले की गई बेजा नोट बंदी की बात उठाना अनुचित क्यों हो गया? पढ़ा है स्पीकर का पद निष्पक्ष होता है लेकिन न कभी आपको और न कभी राज्यसभा अध्यक्ष उपराष्ट्रपति धनखड़ को निष्पक्ष देखा गया। दुनिया के इतिहास में 150 विपक्षी सांसदों का निलंबन पहली बार किया गया। आज तक यह पता नहीं चल पाया कि विपक्ष की माइक कौन बंद करता है क्योंकि जब भी विपक्ष तीखे सवाल करता है खासकर राहुल गांधी तो उनकी माइक बंद। कैमरे का डायरेक्टर कौन है यह भी मालूम नहीं हो सका क्योंकि जब कोई विपक्षी सांसद विशेषकर राहुल गांधी बोलते हैं तो कैमरा आप पर हो जाता है। यह भी कि सबसे ज्यादा राहुल गांधी के भाषण पर कैंची क्यों चल जाती है जब वे सत्ता पर हमला बोलते हुए तीखे सवाल उठाते हैं जिससे सत्ता परेशान और छवि धूमिल होने का भय रहता है।सत्ता पक्ष के पीएम और मंत्री जो बात कहते आप उनकी वकालत करते हुए कहने लगते हैं। विपक्षी सांसदों को बोलते हुए आप बार बार टोकते हैं। रोकते और डिस्टर्ब करते रहते हैं। स्पीकर साहब! माना कि आपको दोबारा बीजेपी ने स्पीकर बनाया केवल इसलिए कि आप सत्ता के इशारे पर सदन में पक्षपात करते रहें लेकिन क्या आप की अंतरात्मा कभी कचोटती नहीं पक्षपात और विपक्षी संग अन्याय करते हुए। संसद बनी ही है गंभीर विषयों पर चिंतन करने के लिए। जनता की समस्याओं को उठाने के लिए जनता अपने प्रतिनिधि इसीलिए चुनती है और विपक्ष का दायित्व है कि सत्ता मद मंद हो जाए तो तीखे हमले कर उसे जगाए और जनहित में काम करने को बाध्य कर दे। नोटबंदी करते समय मोदी ने देश के भीतर छुपा कलाधन बाहर निकलना कारण बताया था। कालाधन तो सफेद कर लिया गया। नोट बंदी के कारण बुरा प्रभाव क्या हुआ। बड़े फख्र से पीएम मोदी बताते हैं कि नोट बंदी से तीन लाख कंपनियां बंद हो गई। अगर एक सौ औसत कर्मचारी मान लें तो तीन करोड़ लोग बेरोजगार हो गए। बेरोजगार बनाकर खुश होने और उपलब्धि बताने वाले मोदी पहले और अंतिम प्रधानमंत्री होंगे जो देशवासियों को बेरोजगार बनाना अपनी उपलब्धि मानता हो। आप जानते हैं कि नोट बंदी की संसद में चर्चा होगी तो सत्ता पक्ष को बचाव करना असंभव हो जाएगा। शेम शेम से सदन गूंज उठेगा। इसीलिए आप ने नोट बंदी मामले को संसद में उठाने से साफ मना कर दिया। संसद में सभी सांसद समान अधिकार प्राप्त होते हैं। सत्ता के नेता होने के नाते पीएम को कोई विशेष अधिकार नहीं मिल जाता। पीएम और विपक्षी नेता के अधिकार एक समान हैं। लेकिन सत्ता पक्ष यदि विपक्ष का अपमान करता है। गाली देता है तो आप बेहद खुश नजर आते हैं और विपक्ष को डांटकर चुप करा देते हैं। इसका उदाहरण बीजेपी सांसद रमेश विधूड़ी ने एक मुस्लिम सांसद को ओए आतंकवादी, ओए मुल्ले, देशद्रोही कहकर अपमानित करता है तो आप अति प्रसन्न होते हैं।कैमरा जब आप पर बार बार टिकता है तो आप के चेहरे के हाव भाव बता देते हैं कि आप क्यों खुश और नाखुश दिखते हैं।सारी दुनिया देखती है संसद की कार्यवाही को। क्या सोचती होगी आप के विषय में क्या कभी आप ने विचार किया ठंडे दिल से? क्या रमेश विधूड़ी के द्वारा असंसदीय अलंकारों के द्वारा विपक्षी सांसद का अपमान किए जाने पर आप ने विधुदी के खिलाफ एक्शन लिया? नहीं न? यह ही नहीं तमाम कलंक आपके दामन पर लगाकर दागदार बनाते हैं। क्या कभी स्पीकर की निष्पक्षता का ख्याल नहीं आता आपको? अब भी समय है आप पक्षपात बंद कर आदर्श स्पीकर का रोल निभाते हुए पश्चाताप करें तो सर्वोत्तम होगा।