
मुंबई। मराठवाड़ा मुक्ति दिवस के अवसर पर महाराष्ट्र सरकार ने इस क्षेत्र के विभिन्न जिलों में मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र वितरित किए। सरकार का कहना है कि हैदराबाद गजटियर के साक्ष्यों के आधार पर यह कदम मराठों को ओबीसी आरक्षण लाभ दिलाने की दिशा में उठाया गया है। लातूर में शहीद स्मारक पर आयोजित मुख्य आधिकारिक ध्वजारोहण समारोह में पालक मंत्री शिवेंद्रसिंहराजे भोसले ने दो लाभार्थियों को कुनबी प्रमाण पत्र सौंपे। जिला प्रशासन के अनुसार ये प्रमाण पत्र हाल ही में जारी सरकारी संकल्प (जीआर) के तहत दिए गए। लाभार्थियों ने मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जारंगे-पाटिल को उनके संघर्ष के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि इससे उनके बच्चों को शिक्षा में मदद मिलेगी। धाराशिव (उस्मानाबाद) में पहली बार कुनबी प्रमाण पत्र वितरित किए गए, जहां पालक मंत्री प्रताप सरनायक ने चार लाभार्थियों को प्रमाण पत्र दिए। हिंगोली में पालक मंत्री नरहरि जिरवाल ने 50 मराठा समुदाय के सदस्यों को प्रमाण पत्र बांटे, जबकि छत्रपति संभाजीनगर में भी इसी तरह के वितरण कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस पहल से जारंगे-पाटिल के समर्थकों और कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है। हालांकि, ओबीसी नेताओं ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। वरिष्ठ ओबीसी नेता और राज्य मंत्री छगन भुजबल ने प्रमाण पत्रों की वैधता पर संदेह जताते हुए कहा कि यह जांच होनी चाहिए कि क्या ये प्रमाण पत्र पहले से तैयार थे और क्या इन्हें सही प्रक्रिया से जारी किया गया है। भुजबल ने चेतावनी दी कि यदि गलत जानकारी के आधार पर प्रमाण पत्र जारी हुए तो अदालत में राज्य की स्थिति कमजोर हो सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि प्रमाण पत्र सही दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर दिए गए हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सरकार की ओबीसी सब-कमेटी को निष्पक्षता सुनिश्चित करनी होगी। राज्य सरकार का कहना है कि कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया हैदराबाद गजेटियर में उपलब्ध दस्तावेजों के सख्त सत्यापन के बाद ही की जा रही है।




