
मुंबई। महाराष्ट्र में फिर से पुरानी पेंशन लागू करने की मांग जोर पकड़ रही है। राज्य सरकार के कर्मचारी संगठन ने इस दिशा में उचित कदम नहीं उठाए जाने पर बेमियादी हड़ताल करने की चेतावनी दी है। पुरानी पेंशन को लेकर एक रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी गई है। पुरानी पेंशन समिति ने 21 नवंबर को अपनी रिपोर्ट राज्य के वित्तमंत्री अजित पवार को सौंप दी है। यह जानकारी महाराष्ट्र राज्य समन्वय समिति के संयोजक विश्वास काटकर ने दी है। मिली जानकारी के मुताबिक, सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना फिर लागू करने से जुड़ी एक रिपोर्ट 21 नवंबर को महाराष्ट्र सरकार को सौंपी गई है। बख्शी कमेटी की रिपोर्ट डिप्टी सीएम व वित्तमंत्री अजित पवार को दी गई। पुरानी पेंशन योजना को लेकर राज्य सरकार ने पूर्व चार्टर्ड अधिकारी सुबोध कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में सुबोध कुमार, सुधीर श्रीवास्तव, केपी बख्शी थे। सरकार द्वारा इस अध्ययन समिति का गठन 14 मार्च 2023 को किया गया था. लेकिन रिपोर्ट तैयार करने के लिए कमेटी का समय दो बार बढ़ाया भी गया। सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है। हालांकि, इस रिपोर्ट पर फैसला लेने से पहले कर्मचारी संगठनों से चर्चा करने की मांग की गई है। संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर 14 दिसंबर तक इस रिपोर्ट पर फैसला नहीं लिया गया तो राज्य के सरकारी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे।
राज्य सरकार ने कर्मचारी संगठनों से वादा किया है कि पुरानी पेंशन की तरह कर्मचारियों को रिटायर होने पर वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा मुहैया करायी जाएगी। राज्य सरकार की समिति ने कर्मचारी संघ समन्वय समिति के साथ दो बार चर्चा भी की। पुरानी पेंशन का मुद्दा पिछले सात साल से चर्चा में है। उसके लिए सरकारी कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन भी किया है। संगठनों का आरोप है कि हर बार सरकार ने कर्मचारियों की मांगों को नजरअंदाज किया है। पिछले साल से अब तक देश के पांच राज्यों ने एनपीएस को खत्म कर पुरानी पेंशन योजना बहाल की है। इन राज्यों में या तो कांग्रेस या बीजेपी विरोधी दल की सरकार है। अगर उन राज्यों में पुरानी पेंशन बहाल हो सकती है तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं? जबकि महाराष्ट्र में तो यह मुद्दा और भी अधिक प्रखरता से उठाया जा रहा है। मार्च महीने में महाराष्ट्र सरकार के लाखों कर्मचारी पुरानी पेंशन को लेकर हड़ताल पर चले गए थे। यह हड़ताल सात दिन तक चली थी।