Mumbai : सीएए (CAA) और जवाहर लाल नेहरू (JNU) के छात्रों पर हमले के विरोध में प्रदर्शन करने वाले 36 लोगों के खिलाफ दर्ज केस को मुंबई पुलिस ने वापस ले लिया है। साल 2020 में सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट को लेकर देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया में भी बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए और अपना विरोध जताया। कोर्ट ने बताया कि मुंबई पुलिस की याचिका में तर्क दिया गया कि इस प्रदर्शन के दौरान ना तो तोड़फोड़ की घटना सामने आई और ना ही जनमाल का नुकसान हुआ, यह प्रदर्शन शांतिपूर्वक किया गया, जिसे देखते हुए 36 लोगों के खिलाफ दर्ज केस को वापस ले लिया है।
बिना किसी व्यक्तिगत लाभ के किया गया प्रदर्शन
12 जनवरी को मुंबई पुलिस के वकील गौतम गायकवाड़ के माध्यम से मामले को वापस लेने के लिए एक आवेदन दिया गया था। आवेदन में कहा गया कि आरोपियों ने बिना किसी व्यक्तिगत लाभ के प्रदर्शन किया था। वकील ने आवेदन में सीआरपीसी के सेक्शन 321 का हवाला दिया है, जो कोर्ट की सहमति पर केस को वापस लेने का अधिकार देता है। गौतम गायकवाड़ ने कहा कि उन्होंने मामले के तथ्यों पर गंभीरता से विचार कर यह निष्कर्ष निकाला कि इस केस को वापस लिया जाना चाहिए।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मुंबई पुलिस की याचिका पर कहा कि पुलिस का तर्क है कि प्रदर्शन के दौरान कोई जान-माल या सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान नहीं हुआ है। मामले के आरोपों और तथ्यों पर विचार करते हुए और कथित कार्य सामाजिक और राजनीतिक प्रकृति का होने के कारण अभियोजन पक्ष नहीं चाहता था कि मामले को आगे बढ़ाया जाए। इसलिए याचिका वापस लेने की अनुमति दी जा रही है।
गेटवे ऑफ इंडिया पर जमा हुए थे बड़ी संख्या में लोग
साल 2020 में 5 जनवरी की आधी रात को लोगों का एक बड़ा समूह गेटवे ऑफ इंडिया पर इकट्ठा हुआ था। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में कैंडल लेकर जेएनयू के छात्रों पर हुए हमले और सीएएस को लेकर अपना विरोध जताया था। इसके अगले दिन हुतात्मा चौक से गेटवे ऑफ इंडिया तक मार्च भी निकाला गया। इसके बाद कुलाबा पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था।
इस मामले में पुलिस ने 36 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी, जिसमें वरिष्ठ वकील मीहीर देसाई, सीपीआई नेता प्रकाश रेड्डी और कई कार्यकर्ताओं का नाम शामिल था। इनमें से 29 आरोपियों को कोर्ट के सामने पेश किया गया और उन्हें निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई। इन लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 143, 149 और बोम्बे पुलिस एक्ट के सेक्शन 37(3), 1951 के तहत मामला दर्ज किया गया।