अमरावती। महाराष्ट्र की अमरावती लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार नवनीत राणा ने गुरुवार को नामांकन दाखिल किया। इससे पहले उन्हें सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। अमरावती से सांसद राणा के जाति प्रमाण पत्र को लेकर आज शीर्ष कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए बीजेपी नेता नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र पर मुहर लगा दी है। नवनीत कौर-राणा एक फिल्म अभिनेत्री थीं। उन्होंने 2011 में अमरावती के बडनेरा से विधायक रवि राणा से शादी की। शादी के बाद उन्होंने अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र बनवाया। इस जाति प्रमाणपत्र को जून 2021 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को रद्द कर दिया। अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
क्या है पूरा मामला?
नवनीत राणा को शादी के बाद 2013 में मोची जाति (एससी) से ताल्लुक रखने का प्रमाणपत्र मिला था। उनके प्रमाणपत्र को जाति सत्यापन समिति ने भी मान्य किया था। लेकिन इसके खिलाफ शिवसेना के पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता पूर्व सांसद ने दावा किया था कि नवनीत राणा मोची नहीं बल्कि पंजाबी चर्मकार जाति से हैं। इसके बाद, कोर्ट ने समिति के फैसले को रद्द कर दिया और राणा के प्रमाणपत्र को अमान्य घोषित कर दिया। पहली बार सांसद बनी नवनीत राणा 2019 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अमरावती सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजयी रही थीं। आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें ‘महायुति’ गठबंधन से अमरावती से मैदान में उतारा है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सांसद नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह फर्जी दस्तावेज देकर हासिल किया गया। इस फैसले को राणा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। फिर जून 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। याचिका में राणा ने तर्क दिया था कि ‘मोची’ और ‘चमार’ शब्द पर्यायवाची हैं, और समिति ने उसके सामने प्रस्तुत मूल रिकॉर्ड के आधार पर उनकी जाति तय की थी।