Thursday, December 11, 2025
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नाबार्ड टीम ने बुंदेलखंड में जल संरक्षण मॉडल का किया व्यापक निरीक्षण, कागज़ पर उकेरी बदलते गांवों की तस्वीर

देवेश प्रताप सिंह राठौर
झांसी, उत्तर प्रदेश।
बुंदेलखंड के दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के तहत किए गए कार्यों का नाबार्ड (NABARD) की उच्चस्तरीय टीम ने मंगलवार को विस्तृत निरीक्षण किया। नाबार्ड मुख्यालय मुंबई के चीफ जनरल मैनेजर डॉ. भवानी शंकर, लखनऊ कार्यालय के चीफ जनरल मैनेजर पंकज कुमार, डीजीएम सिद्धार्थ शंकर और झांसी के डीडीएम भूपेश पाल सहित अन्य सदस्यों का ग्राम प्रधान एवं स्थानीय प्रतिनिधियों ने पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया। निरीक्षण दल ने इक्रीसेट (ICRISAT) द्वारा टहरौली तहसील के 40 गांवों में संचालित वर्षा जल संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के कार्यों का जायजा लिया। टीम ने ग्राम नोटा के सामुदायिक तालाब, ग्राम गुंडाहा में बनाए गए जल संचयन ढांचों और भदोखर गांव में पुनर्जीवित हवेली का स्थलीय निरीक्षण कर संरक्षण कार्यों की उपयोगिता को समझा। इसके साथ ही दल ने भगोरा में विकसित कृषिवानिकी मॉडल, सूक्ष्म सिंचाई के लिए किसानों को उपलब्ध स्प्रिंकलर व ड्रिप इरिगेशन प्रणालियों का मूल्यांकन किया, जिसके चलते फसल उत्पादन बढ़ने की जानकारी किसानों ने दी। निरीक्षण के दौरान ICRISAT के ग्लोबल थीम लीडर और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रमेश सिंह तथा सलाहकार आर.के. उत्तम ने बड़े मानचित्रों के माध्यम से जल संरक्षण कार्यों की प्रस्तुति दी। वहीं सहायक वैज्ञानिक डॉ. अशोक शुक्ला ने कृषिवानिकी मॉडल और वृक्षारोपण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के प्रयासों को विस्तार से बताया।
नाबार्ड अधिकारियों ने परियोजना की सराहना करते हुए कहा कि यदि बुंदेलखंड के पूरे 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में ऐसे मॉडल लागू किए जाएँ, तो सिंचाई और पेयजल संकट का स्थायी समाधान संभव है। अधिकारियों के इस सुझाव का ग्रामीणों ने तालियों से स्वागत किया। दल ने ICRISAT द्वारा संचालित किसान उत्पादक संगठन (एफ़पीओ) की गतिविधियों का भी अवलोकन किया और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण समिति के सदस्यों से संवाद कर समुदाय-आधारित मॉडल की कार्यशैली को समझा। नाबार्ड अधिकारियों ने कहा कि ICRISAT का यह सामुदायिक मॉडल ग्रामीण विकास और जल संरक्षण के लिए अत्यंत प्रभावी है और इसे व्यापक स्तर पर अपनाया जाना चाहिए। निरीक्षण के दौरान कई गांवों के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक, किसान और स्थानीय समिति के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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