
चंडीगढ़: पंजाब में पिछले पांच वर्षों में एक हजार से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है. यह जानकारी संसद में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने लिखित तौर पर दी है. उन्होंने अपने जवाब में कहा है कि 2017-21 में कुल 1,056 किसानों ने आत्महत्या की है. कृषि विशेषज्ञों की राय में किसानों द्वारा आत्महत्या का कारण उच्च कर्ज का बोझ था. कुल 1,056 किसान मामलों में से 243 मामले 2017 में दर्ज किए गए थे, जबकि 2018 में 229, 2019 में 239, 2020 में 174, और 2021 में 171 किसानों ने आत्महत्या की.
हरियाणा में 23 किसानों ने की आत्महत्या
पंजाब में किसानों की आत्महत्या स्पष्ट रूप से कई लोगों के लिए चिंता का कारण है क्योंकि यह संख्या कृषि प्रधान राज्यों में पंजाब में सबसे अधिक है. जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा में पांच साल में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 23 है. उत्तर प्रदेश में जो देश में गेहूं का सबसे अधिक उत्पादक है, वहां पिछले पांच वर्षों में 398 किसानों ने आत्महत्या की है.राजस्थान में पांच वर्षों में 7 किसानों ने आत्महत्या की है. कृषि मंत्री तोमर ने यह जानकारी तब दी थी जब नई दिल्ली से आप सांसद एनडी गुप्ता ने इस संबंध में एक सवाल किया था.
सबसे ज्यादा मौतें महाराष्ट्र में
कृषि मंत्री के मुताबिक 2017 से 2021 के बीच देशभर में 28,572 किसानों ने आत्महत्या की. सबसे ज्यादा मौतें महाराष्ट्र में हुईं, जहां इसी अवधि में 12,552 किसानों ने आत्महत्या की. कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा किए गए विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि पंजाब में किसानों की आत्महत्या के पीछे भारी कर्ज एक कारण था. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च लागत और कम मुनाफे ने किसानों को कर्ज के जाल में फंसा दिया है. हालांकि तोमर किसानों की आय 2022 में दोगुना करने के बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर स्पष्ट तौर पर नहीं दे पाए. उन्होंने सदन को बताया कि सरकार ने किसानों के लिए उच्च आय प्राप्त करने के लिए कई विकास कार्यक्रम, योजनाएं, सुधार और नीतियां लागू की हैं.