
350वीं शहादत वर्षगांठ पर राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन
मुंबई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सिखों के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर की शहादत केवल सिख समुदाय तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि सरकार गुरु तेग बहादुर के बलिदान के इतिहास को व्यापक स्तर पर प्रसारित करने के लिए हर संभव सहयोग देगी। शनिवार को दादर स्थित योगी सभागार में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला में मुख्यमंत्री फडणवीस ने ‘हिंद दी चादर’ गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत वर्षगांठ के उपलक्ष्य में संबोधित किया। कार्यक्रम में आपदा प्रबंधन मंत्री गिरीश महाजन, विधायक बाबूसिंह महाराज, अल्पसंख्यक विभाग के सचिव रुचिश जयवंशी तथा प्रसिद्ध गायक सतिंदर सरताज सहित विभिन्न छह समुदायों के संत, गुरु और समिति पदाधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने धर्मांतरण के विरोध और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। इसी कारण उन्हें ‘हिंद की चादर’ कहा जाता है। उनके बलिदान का इतिहास राज्य के हर गाँव और हर घर तक पहुँचाना सामूहिक दायित्व है। उन्होंने बताया कि शहीदी समागम के दौरान नांदेड़, नागपुर और मुंबई में विविध कार्यक्रम आयोजित हुए तथा क्षेत्रीय समितियों के माध्यम से शहादत की गाथा को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा।
फडणवीस ने गुरबाणी को विश्व की अनुपम आध्यात्मिक साहित्यिक धरोहर बताते हुए कहा कि इसमें सिख गुरुओं के साथ संत नामदेव और विभिन्न संप्रदायों के सद्विचार समाहित हैं। गुरबाणी एकता, मानवीय मूल्यों और जीवन मार्ग का संदेश देती है। इस कार्यक्रम में सिख, सिकलीगर, बंजारा, लबाना, मोहयाल और सिंधी समुदायों का एक साथ आना सामाजिक एकजुटता का सशक्त उदाहरण है। कार्यक्रम के दौरान गुरु तेग बहादुर के जीवन और बलिदान पर आधारित एक विशेष वेबसाइट और गीत का लोकार्पण किया गया, जिसे मुख्यमंत्री फडणवीस ने जनसमर्पित किया।




