
मुंबई। मराठा आरक्षण को लेकर बड़ी खबर आई है। महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने शिंदे कमेटी की समय सीमा 24 दिसंबर तक बढ़ा दी है। इससे पहले शिंदे समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 30 नवंबर की समय सीमा तय की थी। हालांकि, इस समय तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इसलिए तेलंगाना से मूल दस्तावेज मिलने में देरी हो रही है। इसी के चलते सरकार ने शिंदे कमेटी को ये एक्सटेंशन दिया है। मराठा समाज और कुनबी दस्तावेजों के लिए ये दस्तावेज आवश्यक हैं। इन दस्तावेज़ों के लिए देरी हो रही है। इसलिए मराठा आरक्षण में देरी होने की संभावना है। बता दें कि मराठवाड़ा पहले निजामशाही शासन का हिस्सा था। निजाम राज्य के सभी मूल दस्तावेज तेलंगाना के हैदराबाद में हैं। इन दस्तावेजों के आधार पर शिंदे कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। लेकिन फिलहाल तेलंगाना में विधानसभा चुनाव चल रहा है। तेलंगाना का प्रशासनिक तंत्र इस चुनाव प्रक्रिया में शामिल है। इसलिए, मराठवाड़ा में मराठा समुदाय से संबंधित दस्तावेजों की उपलब्धता में कुछ देरी हो रही है। उसे देखते हुए राज्य सरकार ने शिंदे कमेटी को 24 दिसंबर तक की मोहलत दे दी है।
महाराष्ट्र-तेलंगाना के बीच पत्राचार
महाराष्ट्र निजाम काल के दस्तावेजों के लिए तेलंगाना सरकार के साथ पत्राचार कर रहा है। महाराष्ट्र राज्य सचिव ने तेलंगाना राज्य सचिव को भी पत्र लिखा है। इस पत्र से निजाम काल के दस्तावेज उपलब्ध कराने की मांग की गई है। लेकिन चुनाव प्रक्रिया के कारण यह दस्तावेज मिलने में देरी हो रही है। मराठा समाज को कुनबी प्रमाण पत्र देने के लिए रिपोर्ट तैयार होगी। इसके लिए एक कमेटी नियुक्त की गयी है। पूर्व जस्टिस संदीप शिंदे की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है। 1901-1902 और 1931 में जनगणनाएं हुई थी।
मराठा आरक्षण की मांग पर आंदोलन
इस जनगणना के रिकॉर्ड और राजस्व विभाग के मौजूदा दस्तावेजों की जांच करना जरूरी है। इसके लिए निजाम काल के कुछ दस्तावेजों की जांच की जा रही है। उसके लिए शिंदे समिति काम कर रही है। ऐसी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इस रिपोर्ट के लिए शिंदे कमेटी को समय विस्तार दिया गया है।मराठा नेता मनोज जारांगे ने मांग की है कि मराठा समुदाय को तुरंत कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाना चाहिए। उसके लिए एक रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इस रिपोर्ट को तैयार करने वाली शिंदे कमेटी को राज्य सरकार ने 24 दिसंबर तक की मोहलत दे दी है। दूसरी ओर, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जारांगे अनशन कर रहे हैं।