
मुंबई। महाराष्ट्र में शिंदे सरकार की ओर से मराठा आरक्षण को लेकर दिए गए एक विज्ञापन के बाद यह मामला फिर से तुल पकड़ लिया है। आरक्षण के मुद्दे पर शिंदे सरकार को घेरने के लिए सभी मराठा संगठन एकजुट हो रहे हैं। मराठा क्रांती मोर्चा ने सरकार से इस संबंध में जल्द से जल्द फैसला लेने की मांग की है। साथ में चेतावनी भी दी है कि अगर आरक्षण पर फैसला नहीं हुआ तो मुंबई तक लंबा मार्च निकाला जाएगा। राज्य में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर दो युवाओं ने आत्महत्या की है। मराठा संगठनों ने इन आत्महत्याओं के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। संगठनों का कहना है कि आरक्षण के मुद्दे पर शिंदे सरकार को अब बिना देर किए फैसला लेना होगा। संगठनों की ओर से सरकार को चेतावनी दी गई है कि मराठा नेता मनोज जरांगे की ओर से सरकार को दी हुई डेडलाइन मंगलवार को खत्म हो रही है। ऐसे में बुधवार से जरांगे दोबारा भूख हड़ताल पर बैठ सकते हैं। मनोज जरांगे ने तो यहां तक कह दिया है कि इस बार सामूहिक अनशन होगा। ऐसे में पिछली बार की तरह लॉ एंड ऑर्डर का सवाल न खड़ा इस बात को सरकार बखूबी समझती है। दूसरी ओर महाराष्ट्र के मुस्लिम नेता भी आरक्षण की मांग को लेकर लामबंद होने लगे हैं। नसीम खान से लेकर अबु आजमी तक रोजाना मुस्लिम संगठनों के साथ बैठ कर रहे जिससे सरकार की मुसीबत बढ़ने लगी है।
दशहरे से पहले शिंदे सरकार के विज्ञापन पर बवाल
दरअसल, दशहरे से ठीक एक दिन पहले शिंदे सरकार ने अखबारों में एक विज्ञापन दिया है। विज्ञापन में कहा गया है कि मराठा आरक्षण को लेकर सरकार ने वचन दिया है यानी शिंदे सरकार इसके जरिए बताना चाहती है कि वो अपने वादे पर कायम है, लेकिन असल बात तो कानूनी अड़चनों का है।
संजय राउत बोल चुके हैं हमला
मराठा आरक्षण को लेकर शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत भी शिंदे सरकार पर हमला बोल चुके हैं। राउत ने कहा है कि आरक्षण की मांग को लेकर 1 महीने में तीन आत्महत्या हो चुकी है। आखिर ये सरकार आरक्षण के मुद्दे पर क्या कर रही है? उन्होंने पूछा कि सरकार ने एक महीने में क्या किया? अब अखबारों में विज्ञापन दिया है कि हम टिकने वाला आरक्षण दे रहे हैं। आपके ही मंत्रिमंडल में आपके ही पार्टी के ऐसे लोग हैं जो पूरा माहौल खराब कर रहे हैं।