
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार राज्य को मोतीबिंदु मुक्त बनाने के सपने को साकार करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस दिशा में विदर्भ स्थित मास्टेक और शंकरा फाउंडेशन, यूएसए जैसी संस्थाएं मोतीबिंदु मुक्त महाराष्ट्र मिशन में सहयोग के लिए आगे आई हैं। इन संस्थाओं का लक्ष्य हर साल 1 लाख (100,000) नि:शुल्क मोतीबिंदु सर्जरी करने का है, जो राज्य को मोतीबिंदु मुक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। मुख्यमंत्री ने नागरिकों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें 2017 में मोतीबिंदु मुक्त महाराष्ट्र मिशन की शुरुआत की गई थी। इस मिशन को 2018 में नए दृष्टिकोण के साथ लागू किया गया। मिशन में सार्वजनिक स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, सामाजिक न्याय, आदिवासी विकास और शालेय शिक्षा विभागों को शामिल किया गया है। मिशन के तहत सरकारी और धर्मार्थ अस्पतालों में नि:शुल्क मोतीबिंदु सर्जरी की जा रही है। 2017 से 2019 तक 17.5 लाख सर्जरी की गईं, और 2022-23 में लगभग 9 लाख सर्जरी पूरी की गईं। मार्च 2024 तक 9,45,733 नि:शुल्क सर्जरी करने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि यह मिशन राज्य में मोतीबिंदु रोगियों की संख्या को कम करने में मददगार साबित हो रहा है।
मास्टेक और शंकरा फाउंडेशन ने 2027 तक इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए हर साल 1 लाख नि:शुल्क सर्जरी करने और आर्थिक सहयोग देने का संकल्प लिया है। मिशन में कई प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान शामिल हैं, जिनमें दत्ता मेघे मेडिकल कॉलेज, लता मंगेशकर मेडिकल कॉलेज, AIIMS नागपुर और अन्य शामिल हैं।
ये संस्थाएं ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा शिविरों का आयोजन करेंगी, जहां मोतीबिंदु से पीड़ित मरीजों की पहचान कर उन्हें नि:शुल्क इलाज प्रदान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इन संस्थाओं को पूरी सहायता प्रदान करेगी ताकि मिशन की सफलता सुनिश्चित हो सके।