
मुंबई। महाराष्ट्र साइबर सेल ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए डार्क नेट पर सक्रिय 15 ड्रग मार्केटप्लेस की पहचान कर उन्हें सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया है। यह सफलता राज्य साइबर इकाई द्वारा पिछले वर्ष शुरू की गई एक डार्क नेट निगरानी प्रणाली के तहत सामने आई, जिसकी अगुवाई निरीक्षक स्तर के एक अधिकारी कर रहे थे। ये मार्केटप्लेस कथित तौर पर कोकीन और अन्य मादक पदार्थों की ऑनलाइन तस्करी में लिप्त थे। उन्नत ट्रैकिंग तकनीकों का उपयोग करते हुए, साइबर टीम ने इन अवैध लिंक और प्लेटफ़ॉर्म की पहचान कर उन्हें निष्क्रिय कर दिया। हालांकि, अपराधियों की सटीक पहचान और स्थान का पता लगाना अब भी एक चुनौती बना हुआ है, क्योंकि वे टोर ब्राउज़र जैसे प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं, जो उपयोगकर्ता की पहचान छुपाने के लिए एन्क्रिप्शन की परतों और विभिन्न देशों में नकली आईपी एड्रेस का सहारा लेते हैं।अधिकारियों का कहना है कि ड्रग्स की भौतिक डिलीवरी के दौरान संदिग्धों को पकड़ना अब भी सबसे प्रभावी रणनीति है। इसके अलावा, उन्हें संदेह है कि कुछ सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म भी ड्रग्स के व्यापार में गुप्त माध्यम के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। कोडित वीडियो, इनक्रिप्टेड चैट और गुप्त समूहों के ज़रिए ये सौदे संपन्न होते हैं, लेकिन सोशल मीडिया कंपनियाँ अक्सर गोपनीयता नीतियों का हवाला देकर डेटा साझा करने से इनकार कर देती हैं, जिससे पुलिस की निगरानी क्षमता सीमित हो जाती है।अधिकारियों ने यह भी चेतावनी दी है कि सोशल मीडिया अब केवल संवाद और मनोरंजन तक सीमित नहीं रहा। यह तेजी से गुप्त प्रचार, ड्रग डीलिंग और अन्य आपराधिक गतिविधियों का माध्यम बनता जा रहा है। वीडियो ऐप्स, निजी चैट एप्लिकेशन, और लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म अब अपराधियों के लिए अप्रत्यक्ष विज्ञापन और कनेक्शन बनाने के उपकरण बन चुके हैं। डार्क नेट के बारे में जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि यह इंटरनेट का वह हिस्सा है जिसे सामान्य ब्राउज़र से एक्सेस नहीं किया जा सकता। यह कुल इंटरनेट का मात्र 4 से 5 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन यहीं पर नशीली दवाओं की तस्करी, हथियारों की खरीद-बिक्री, मानव तस्करी और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग जैसे जघन्य अपराध फलते-फूलते हैं। लेन-देन के लिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग किया जाता है, जिससे पैसों के प्रवाह को ट्रैक करना और भी मुश्किल हो जाता है।
महाराष्ट्र साइबर की इस सफलता को एक कठिन साइबर युद्ध में रणनीतिक बढ़त के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन अधिकारी मानते हैं कि इस लड़ाई में लगातार निगरानी, तकनीकी दक्षता और कानूनी सहायता की ज़रूरत है। राज्य साइबर विभाग ने इस दिशा में एक ठोस शुरुआत की है, लेकिन डार्क नेट और सोशल मीडिया के ज़रिए होने वाली अवैध गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और कठोर नीति निर्माण आवश्यक है।