
मुंबई। देश में जीएसटी संग्रह लगातार बढ़ रहा है और इसमें महाराष्ट्र का योगदान सबसे अधिक 21 प्रतिशत है। यह जानकारी केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) के प्रधान मुख्य आयुक्त के. आर. उदय भास्कर ने दी। वे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (डब्ल्यूटीसी) और अखिल भारतीय उद्योग संघ (एआईएआई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित विशेष सत्र ‘जीएसटी 2.0: विकसित भारत का मार्ग’ में बोल रहे थे। भास्कर ने बताया कि करदाताओं की संख्या 2017 में 66.5 लाख से बढ़कर 2025 में 1.53 करोड़ हो गई है, जबकि राजस्व संग्रह 22.08 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया है। इसमें महाराष्ट्र की हिस्सेदारी अकेले 7.5 लाख करोड़ रुपए है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि संरचनात्मक सुधार, दरों के युक्तिकरण और जीवन की सुगमता- इन तीन स्तंभों पर आधारित है। राज्य कराधान आयुक्त आशीष शर्मा ने कहा कि टैरिफ़ युक्तिकरण से एमएसएमई क्षेत्र को व्यापक लाभ मिलेगा। वहीं, टीसीएन ग्लोबल की अनिंदिता चटर्जी ने मुनाफ़ाखोरी-रोधी व्यवस्था के त्वरित क्रियान्वयन की आवश्यकता जताई। कर विशेषज्ञ रागिनी तुलस्यान ने उद्योगों को कर-समावेशी समझौतों और खातों के पुनर्संतुलन की सलाह दी। डब्ल्यूटीसी मुंबई और एआईएआई के अध्यक्ष विजय कलंत्री ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र जीडीपी में 30 प्रतिशत और रोज़गार में 60 प्रतिशत योगदान देता है। उन्होंने ज़ोर दिया कि कर की दरों में कमी से माँग बढ़ेगी और उद्योग अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। सत्र में केंद्र और राज्य के वरिष्ठ कर अधिकारी, कर विशेषज्ञ, उद्योग जगत के प्रतिनिधि और व्यापारिक समुदाय के सदस्य शामिल हुए। एआईएआई की वरिष्ठ निदेशक संगीता जैन ने सभी गणमान्य अतिथियों का आभार व्यक्त किया।