Friday, November 7, 2025
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स्टारलिंक के साथ साझेदारी करने वाला महाराष्ट्र बना भारत का पहला राज्य

दूरदराज इलाकों में पहुंचेगा हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट

मुंबई। समावेशी डिजिटल बदलाव की दिशा में महाराष्ट्र ने ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य सरकार ने स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ लेटर ऑफ इंटेंट (LOI) पर साइन किया, जिससे महाराष्ट्र भारत का पहला राज्य बन गया जो सरकारी संस्थानों, ग्रामीण समुदायों और महत्वपूर्ण सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के लिए सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवाओं के लिए स्टारलिंक के साथ औपचारिक सहयोग कर रहा है। यह साझेदारी भारत सरकार से स्टारलिंक के रेगुलेटरी और कंप्लायंस क्लीयरेंस के अधीन है। LOI पर हस्ताक्षर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में स्टारलिंक की वाइस प्रेसिडेंट लॉरेन ड्रेयर और महाराष्ट्र सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव वीरेंद्र सिंह ने किए। इस रणनीतिक सहयोग के तहत अत्याधुनिक तकनीक राज्य के दूरदराज और कम सुविधा वाले क्षेत्रों को जोड़ने में मदद करेगी, जिसमें आदिवासी स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), आपदा नियंत्रण कक्ष, वन चौकियां, तटीय क्षेत्र और गढ़चिरौली, नंदुरबार, धाराशिव और वाशिम जैसे आकांक्षी जिले शामिल हैं। इस पहल का उद्देश्य शिक्षा और टेलीमेडिसिन के लिए स्मार्ट कनेक्टिविटी प्रदान करने के अलावा, समृद्धि महामार्ग, घाटों, तटीय वाहनों और बंदरगाहों, तथा तटीय पुलिस नेटवर्क जैसे प्रमुख बुनियादी ढांचा गलियारों के साथ कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा देना है। स्टारलिंक की वाइस प्रेसिडेंट लॉरेन ड्रेयर ने कहा, “हमें गर्व है कि हम लोगों को उनके स्थान की परवाह किए बिना हाई-स्पीड कनेक्टिविटी प्रदान कर सकते हैं। महाराष्ट्र के साथ यह पहल इस दिशा में हमारी पहली और महत्वाकांक्षी परियोजना है। हमारा मिशन है कि पारंपरिक बुनियादी ढांचे से पिछड़े लोगों को जोड़ना और समावेशी डिजिटल विकास को बढ़ावा देना। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा- इस साझेदारी से हम हर गांव, हर स्कूल और हर हेल्थ सेंटर को जोड़कर डिजिटल खाई पाट रहे हैं। यह कदम महाराष्ट्र को एक कनेक्टेड और भविष्य के लिए तैयार राज्य बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम भारत का पहला राज्य होने और जमीनी स्तर पर डिजिटल इंडिया के लिए बेंचमार्क सेट करने पर गर्व महसूस कर रहे हैं। इस पहल का पायलट चरण 90 दिनों का होगा, जिसमें 30, 60 और 90 दिनों में विशिष्ट मील के पत्थर तय किए गए हैं। पायलट की समीक्षा मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में तिमाही आधार पर की जाएगी। पायलट चरण में सरकारी और आदिवासी स्कूलों, आपदा प्रतिक्रिया संचार, तटीय निगरानी, हाई-स्पीड इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा वितरण, तथा राज्य एजेंसियों और समुदायों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। पायलट के सफल होने के बाद यह पहल पूरे राज्य में विस्तारित की जाएगी, जिससे महाराष्ट्र सैटेलाइट-सक्षम डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बन जाएगा। यह सहयोग राज्य के डिजिटल महाराष्ट्र मिशन के साथ-साथ एवी, तटीय विकास और आपदा प्रबंधन कार्यक्रमों के साथ भी इंटीग्रेट होगा।

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